भारतीय टीम के एक बेहतरीन विकेटकीपर और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विकेट के पीछे अपनी तेजी और बल्ले से कई नायाब उपलब्धियां अपने नाम की हैं। यही नहीं महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में आईसीसी के तीनों खिताब जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। वैसे धोनी की जितनी तारीफ की जाये कम है उहोंने चाहे कैप्टन के रूप में या एक खिलाड़ी के तोर पर कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं। धोनी को लेकर भारत के पूर्व विकेटकीपर और चीफ सिलेक्टर किरण मोरे ने एक मजेदार किस्सा शेयर किया है। उन्होंने कहा है कि धोनी को विकेटकीपर के तौर पर टीम में शामिल करने के लिए उन्हें 10 दिन तक सौरव गांगुली को मनाना पड़ा था।
पूर्व चीफ सिलेक्टर किरण मोरे ने कहा, उस समय फॉर्मेट बदल रहा था तो हमें एक शानदार बल्लेबाज की जरूरत थी। ऐसा खिलाड़ी जो छठे-सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए टीम के लिए 40 से 50 रन जड़ सके। ऐसे में राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर 75 वनडे मैच खेले थे और इसी भूमिका में 2003 का विश्व कप भी खेला।
ऐसे में हमें एक विकेटकीपर की तलाश थी क्योंकि हम उनका प्रेशर थोड़ा कम करना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने बताया मेरे एक साथी की नजर धोनी पर पड़ी, जिसके बाद मैं उनका खेल देखने के लिए गया। उस समय सिर्फ धोनी का खेल देखने के लिए मैंने फ्लाइट पकड़ी थी। यहां धोनी की पूरी टीम ने 170 रन बनाए थे, जिसमें अकेले उनके 130 रन थे। यहां उन्होंने लगभग सभी गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाए थे। इस वजह से हमारी ये चाहत थी कि फाइनल मुकाबले में धोनी ही विकेटकीपिंग करें।
मोरे ने आगे बताया कि उस समय दिलीप ट्रॉफी में दीपदास गुप्ता ईस्ट जोन टीम के विकेटकीपर थे। धोनी को टीम में विकेटकीपर के तौर पर लेने के लिए उनकी सौरव गांगुली और दीपदास गुप्ता में काफी जुबानीजंग भी हुए। ऐसे में गांगुली और चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास गुप्ता की जगह धोनी को कीपिंग करने देने के लिए समझाने में पूरे 10 दिन का समय लग गया। बता दें, दलीप ट्रॉफी के फाइनल में धोनी ने ओपनिंग की थी। पहली पारी में उन्होंने 21 और दूसरी पारी में सिर्फ 47 गेंदों में 60 रन बनाए थे।