भारतीय क्रिकेट टीम में अहं का टकराव कोई नयी बात नहीं और पूर्व प्रशासक रामचंद्र गुहा का मानना है कि पूर्व कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच हुआ विवाद पूर्व कप्तान वीनू मांकड़ और पूर्व मुख्य चयनकर्ता सीके नायडू के बीच 1952 में हुये विवाद की तरह था। बांबे जिमखाना में हुये एक कार्यक्रम में गुहा ने कहा, मैंने प्रशासकों की समिति से छह माह पहले इस्तीफा दिया था और यह पहली बार है जब मैं लोगों के सामने क्रिकेट पर कोई बात रख रहा हूं। कर्नल सीके नायडू और वीनू मांकड़ के बीच विवाद की एक कहानी है। उन्होंने कहा, नायडू चयनसमिति के अध्यक्ष थे और मांकड़ भारत के महान क्रिकेटर। भारतीय टीम 1952 में इंग्लैंड का दौरे करना था और मांकड़ को लंकाशर लीग से अनुबंध की पेशकश की गयी।
इस इतिहासकार ने कहा, जब मांकड़ ने बीसीसीआई से कहा कि अगर आप यह सुनिश्चित करेंगे की मैं इंग्लैंड दौरे पर जारूंगा तो मैं इस अनुबंध को ठुकरा दूंगा जिस पर नायडू ने कहा कि वह आश्वासन नहीं दे सकते है। भारतीय टीम पहला टेस्ट हार गयी और मांकड़ इसके बाद लार्ड्स टेस्ट में खेले। भारतीय टीम लार्ड्स टेस्ट भी हार गयी लेकिन मांकड़ ने इस मैच में 72 और 184 रन की पारी खेलने के साथ 196 रन पर पांच विकेट भी चटकाए। उन्होंने कहा एक समय मुझे लगा कि कोहली और कुंबले के बीच का विवाद 195152 में नायडू और मांकड़ के बीच हुये विवाद की तरह था। गुहा ने हलके अंदाज में कहा कि 50 के दशक में प्रशासकों की चलती थी लेकिन अब खिलाडय़रों की चलती है। उन्होंने कहा, अब काफी बदलाव आया है, 1952 में खिलाडय़रों की तुलना में चयनकर्ताओं और मैनेजरों का ज्यादा प्रभाव था लेकिन अब उलटा है।
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