बीते मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के लोकपाल के डे.के.जैन के सामने सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण पेश हुए थे। दरअसल क्रिकेट सलाहकार समिति यानी सीएसी के सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली सदस्य हैं और साथ ही वह आईपीएल की फ्रेंचाइजी टीमों के मेंटोर भी हैं जिसके बाद से इसमें विवाद खड़ा हो गया था। जिसके लिए वह डे.के.जैन से मिले थे।
शायद आपको इस बात की जानकारी नहीं है कि बोर्ड के नए संविधान के अनुसार सचिन, लक्ष्मण और सौरव गांगुली बोर्ड की किसी भी समिति का हिस्सा नहीं होंगे।
भारतीय टीम के इन पूर्व खिलाडिय़ों से सारी सेवाएं नहीं ली गईं हैं क्योंकि इनके पास अभी भी भारतीय टीम के मुख्य कोच चुनने की जिम्मेदारी बरकरार है। बता दें कि इन तीनों खिलाडिय़ों को सीएसी ने 2016 और 2017 में भारतीय टीम का कोच बनाया था। इसके साथ ही जब महिला टीम के मुख्य कोच की नियुक्त करने की बारी थी तब भी प्रशासकों की समिति यानी सीओए ने इन तीनों खिलाडिय़ों को कुछ ज्यादा समय नहीं दिया था।
अधिकारी ने सीएसी सदस्यों पर किया यह बड़ा खुलासा
आईएएनएस से बातचीत के दौरान बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के इन तीनों पूर्व खिलाडिय़ों की सेवाओं को इस तरह से बोर्ड ने खत्म कर दिया है। अधिकारी ने कहा, ये बेहद दुख की बात है। मौजूदा हालात में तीनों को लोकपाल के सामने जाने को मजबूर कर दिया जहां सीओए लोकपाल से कह सके कि ये तीनों ‘साफ तौर से’ हितों के टकराव के मुद्दे में घिरे हैं। सीओए ने भारतीय क्रिकेट के इन तीन दिग्गजों की सेवाओं को पूरी तरह से उपयोग भी नहीं किया।
इस मामले में अधिकारी ने आगे कहा, नए संविधान के मुताबिक ये तीनों पांच साल के बाद किसी भी समिति का हिस्सा नहीं हो सकते और ये नियम 2020 के बाद इन्हें बाहर कर देगा। क्या बोर्ड में जो तंत्र पेशेवर तरीके से काम कर रहा है उसे पता है कि उन्हें क्या खोया है? उन्होंने इन तीनों को महिला टीम का कोच नियुक्त करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया। कम देखना बड़ी बीमारी है।
वहीं दूसरे अधिकारी ने कहा कि ये जो साफ तौर पर हितों के टकराव का मुद्दा है वो सीओए की तरफ से गैरजरूरी है। अधिकारी ने आगे बातचीत में कहा, वो ये कहने की स्थिति में बिल्कुल नहीं हैं। सचिन का उदाहरण ले लीजिए क्या उन्हें मुंबई इंडियंस या सीएसी में रहने के लिए बीसीसीआई की तरफ से कोई पैसा मिल रहा है? तो फिर हितों के टकराव का मुद्दा कहां है? साथ ही 2020 के बाद से आप उन्हें किसी भी क्रिकेट समिति में शामिल नहीं कर सकते। एक दिग्गज जिसने 24 साल 25 सीजनों तक देश के लिए क्रिकेट खेली वो कभी भी चयनकर्ता बनने के लिए योग्य नहीं होगा।
अब जो नए बीसीसीआई के संविधान आए हैं उनके अनुसान, किसी भी क्रिकेट समिति का कोई भी शख्स पांच साल तक हिस्सा होता है वह आगे भविष्य में किसी दूसरी समिति का हिस्सा नहीं बन सकता है। अब इस नियम के अनुसार 2015 में सीएसी नियुक्त हुई थी अब उसके पास महज 1 साल का समय ही रह गया है। इसका मतलब है कि सचिन, गांगुली और लक्ष्मण अब किसी दूसरी क्रिकेट समिति का हिस्सा नहीं बनेंगे।
इसमें एक दूसरी परेशानी की बात यह भी है कि इस तिगड़ी को जिस समय सीएसी के सदस्य बनाया गया था तो उसमें से यह सोचा गया था कि देश की राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन में सुधार लाने केलिए चुना गया था। इसकेअलावा इन्हें विश्व कप भी भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने के लिए रोडमैप भी तैयार करके देना था।
लेकिन पिछले चार सालों में इन तीनों ने समिति के तौर पर महज दो काम किए हैं। पहला 2016 में राष्ट्रीय टीम का अनिल कुंबले को कोच नियुक्त किया था और दूसरा जब उनका कार्यकाल खत्म हो गया तो रवि शास्त्री को राष्ट्रीय टीम का 2017 में कोच नियुक्त किया।
सबसे दुख की बात तो यह है कि खेल को इन दिग्गजों ने काफी लंबे समय तक सेवाएं दी थीं। इन्हें अब यह साबित करना है कि यह हितों का टकराव के मामले में नहीं हैं।