एकातेरिनबर्ग : एशियाई चैम्पियन अमित पंघाल (52 किग्रा) शुक्रवार को यहां कजाखस्तान के साकेन बिबोसिनोव को हराकर विश्व पुरूष मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गये जबकि मनीष कौशिक (63 किग्रा) को सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। दूसरे वरीय पंघाल ने इस चुनौतीपूर्ण मुकाबले में 3-2 से जीत हासिल की।
अब फाइनल में उनका सामना शनिवार को उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव से होगा जिन्होंने फ्रांस के बिलाल बेनामा को दूसरे सेमीफाइनल में शिकस्त दी। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता कौशिक ने अपनी पहली विश्व चैम्पियनशिप में खेलते हुए कांस्य पदक हासिल किया। उन्हें क्यूबा के शीर्ष वरीय और पिछले चरण के स्वर्ण पदकधारी व मौजूदा पैन अमेरिकी खेलों के चैम्पियन गोमेज क्रूज से 0-5 से हार मिली।
पंघाल ने जीत के बाद कहा कि मुकाबला मेरे लिये अच्छा रहा, हालांकि मैंने जितना सोचा था मुझे उससे ज्यादा जोर लगाना पड़ा। यह भारतीय मुक्केबाजी के लिये बड़ी उपलब्धि है और मुझे जो समर्थन मिल रहा है, उसका शुक्रगुजार हूं। भारत ने कभी भी विश्व चैम्पियनशिप के एक चरण में एक से ज्यादा कांस्य पदक हासिल नहीं किये हैं लेकिन पंघाल और मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने सेमीफाइनल में पहुंचकर इसे बदल दिया।
इससे पहले विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्ण (2011), शिव थापा (2015) और गौरव बिधुड़ी (2017) ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल किये थे। पंघाल ने कहा कि मैं स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश करूंगा। पंघाल ने अपनी तेजी और परिस्थितियों के मुताबिक प्रदर्शन की काबिलियत की बदौलत अपने से लंबे कजाखस्तानी मुक्केबाज को पस्त किया जो क्वार्टरफाइनल में अर्मेनिया के मौजूदा यूरोपीय स्वर्ण पदकधारी आर्टर होवहानिस्यान को हराकर यहां तक पहुंचा था। रोहतक का यह मुक्केबाज काफी सटीक था, उसके मुक्कों में काफी दम था और कजाखस्तान के मुक्केबाज के खिलाफ डिफेंस भी शानदार रहा।