गोल्ड कोस्ट : रियो ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुकी भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में इस बार पदक का रंग बदलने के इरादे से उतरेंगी। सिंधू पिछले ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में 18 साल की थीं और तब उन्होंने कांस्य पदक जीता था। विश्व चैंपियनशिप में 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी सिंधू की असली पहचान रियो ओलंपिक में सामने आयी जब उन्होंने फाइनल में पहुंचने का इतिहास रचा और देश को बैडमिंटन में पहला ओलंपिक रजत दिलाया।
22 साल की सिंधू ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में फाइनल तक का सफर तय किया लेकिन यहां भी उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़। सिंधू पिछले मार्च में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल तक पहुंची जहां उन्हें जापान की अकाने यामागुची से हार का सामना करना पड़ा। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में सिंधू ने भारतीय ध्वजवाहक की भूमिका निभाई थी। हालांकि वह मिश्रित टीम स्पर्धा में नहीं खेलीं ताकि वह अपनी चोट से उबर सकें जो उन्हें इन खेलों से शुरू होने से पहले हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान लगी थी। भारत ने पिछले दो बार के चैंपियन मलेशिया को फाइनल में हराकर पहली बार मिश्रित टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता।
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