ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की मुश्किल परिस्थितियों में जिन बल्लेबाजों से टीम इंडिया को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होती है, उनमें अजिंक्य रहाणे का नाम काफी ऊपर आता है। वे कई बार इस भरोसे पर खरे भी उतरे हैं। मेलबर्न में दो शतक के अलावा लॉर्ड्स (इंग्लैंड), वेलिंगटन (न्यूजीलैंड) और किंग्सटन (जमैका, वेस्टइंडीज) में खेली शतकीय पारियां इस बात की तस्दीक करती हैं कि फास्ट, स्विंग और बाउंसी कंडीशंस के लिए रहाणे की तकनीक बेहतरीन है, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है।
रहाणे भारतीय पिचों पर स्ट्रगल करते रहे हैं। भारत में 28 टेस्ट मैच खेल कर वे सिर्फ 1494 रन बना सके हैं। एवरेज महज 37.35 है, जो कि ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के बैटिंग एवरेज (38.90) से भी कमजोर है।टेस्ट क्रिकेट में 37 से ऊपर का औसत खराब नहीं कहा जा सकता है, लेकिन समकालीन भारतीय बल्लेबाजों से तुलना करें तो भारतीय पिचों पर रहाणे की बैटिंग काफी कमजोर नजर आती है। टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने घरेलू मैदानों पर 67.42 के एवरेज से, चेतेश्वर पुजारा ने 59.31 और रोहित शर्मा ने 79 के एवरेज से रन बनाए हैं। लोकेश राहुल (44.25), ऋषभ पंत (71.50), रवींद्र जडेजा (38.90) का एवरेज भी रहाणे से बेहतर है। रविचंद्रन अश्विन भी 28.60 के बैटिंग एवरेज के साथ रहाणे को चुनौती देते नजर आते हैं।
घरेलू पिचों पर रहाणे के कमजोर प्रदर्शन के पीछे स्पिन गेंदबाजों को ठीक से न खेल पाना बड़ा कारण साबित हुआ है। रहाणे ने भारत में 28 टेस्ट मैचों में 44 पारी खेली। इनमें वे 40 बार आउट हुए। 28 बार तो उनका विकेट स्पिनर्स ने लिया है। वहीं, 12 बार वे तेज गेंदबाजों का शिकार बने। भारत में रहाणे को दाएं हाथ के स्पिनर्स ने 16 बार और बाएं हाथ के स्पिनर्स ने 12 बार आउट किया है। यानी घरेलू पिचों पर रहाणे 70% मौकों पर स्पिनर्स का शिकार बने हैं। इसके उलट घरेलू पिचों पर विराट कोहली 51% और चेतेश्वर पुजारा 50% मौकों पर ही स्पिनर्स का शिकार बने हैं।