टीम इंडिया के कप्तान और ओपनिंग बल्लेबाज़ रोहित शर्मा आज 35 साल के हो गए हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में जन्म लेने वाला ये खिलाडी आज क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम की कमान संभाले है। लेकिन कम लोग जानते होंगे की रोहित शर्मा शुरुआत में स्पिनर बनना चाहते थे। तो चलिए उनके जन्म दिन पर आपको बताते है उनके स्पिनर से ओपनर और फिर कप्तान बनने तक का सफर।
रोहित के क्रिकेट करियर की शुरुआत मुंबई के बोरिवली से हुई। यहां वो बोरिवली स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन की तरफ से खेलते थे और ऑफ स्पिनर बनना चाहते थे। रोहित के पिता की इनकम ज्यादा नहीं थी लेकिन फिर भी रोहित के परिवार वालों को शुरुआत से ही उनके क्रिकेटर बनने से कोई एतराज नहीं था। स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के कोच दिनेश लाड अपने स्कूल की टीम बना रहे थे, तब उन्हें रोहित की स्पिन गेंदबाजी पसंद आई। उन्होंने रोहित को विवेकानंद स्कूल में एडमिशन दिलाया और उनकी फीस भी माफ कराई।
उसी विवेकानंद स्कूल में कोच दिनेश ने एक दिन रोहित को बल्लेबाजी करते देखा और अगले मैच में उनसे ओपनिंग कराई। 12 साल के रोहित ने 140 रन की पारी खेली और यहीं से वो एक बल्लेबाज के रूप में खेलने लगे। हालांकि, आगे चलकर उन्हें पारी की शुरुआत करने का मौका नहीं मिला और वो मिडिल आर्डर में बतौर बल्लेबाज खेले। इस दौरान वो ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते रहे। कोच दिनेश लाड रोहित को क्रिकेट किट और बैट भी तोहफे में देते रहते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि रोहित के लिए ये सारी चीजें खरीदना आसान नहीं होगा।
वही दूसरी तरफ रोहित ने बतौर बल्लेबाज हर बार सिलेक्टर्स को प्रभावित किया और अंडर-14, अंडर-15, अंडर-19 हर टीम में जगह बनाते चले गए। 2007 में रोहित भारत के लिए टी20 विश्व कप खेलने दक्षिण अफ्रीका गए और वहां उन्होंने साउथ अफ्रीका के ही खिलाफ अर्धशतक लगाया। अंत में टीम इंडिया ने यह टूर्नामेंट जीता और सभी खिलाड़ी हीरो बन गए। रोहित को साल 2008 में आईपीएल में तीन करोड़ की कीमत मिली और वहां से उनकी दुनिया ही बदल गई।
रोहित के पास पैसा आया तो उन्होंने अपने लिए गाड़ी खरीदी, जबकि उनके माता-पिता बोरिवली में अब भी किराये के घर में रहते थे। उनके इस फैसले पर सभी नाराज हुए। बाद में रोहित ने बांद्रा में घर भी खरीदा। अब वो क्रिकेट प्रैक्टिस से दूर जा रहे थे और दोस्तों के साथ मौज मस्ती में ज्यादा समय बिता रहे थे। इसी वजह से 2009 और 2010 में रोहित कुछ खास नहीं कर पाए। 2011 में उन्हें वर्ल्ड कप टीम में शामिल नहीं किया गया तो उनकी आखें खुली।
इसके बाद उन्होंने फिर से मन लगाकर प्रैक्टिस शुरू की और 2011 विश्व कप के बाद टीम इंडिया में जगह बनाई। 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में धोनी ने उन्हें पारी की शुरुआत करने का मौका दिया और उन्होंने बेहतरीन अर्धशतक लगाया। इसके बाद तो रोहित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और अब कोहली के अचानक कप्तानी छोड़ने के बाद उन्हें तीनों फॉर्मेट की कमान उनके हाथ में सौंप दी गयी है।