Sakshi Malik का नए अध्यक्ष संजय सिंह पर बयान हुआ वायरल

Sakshi Malik का नए अध्यक्ष संजय सिंह पर बयान हुआ वायरल
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ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान Sakshi Malik ने बुधवार को कहा कि नए भारतीय कुश्ती महासंघ से उन्हें कोई ऐतराज नहीं है, अगर बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह को इससे अलग रखा जाता है। Sakshi Malik ने 21 दिसंबर को संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के बाद खेल से संन्यास ले लिया था। रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने दावा किया कि उनकी मां को डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण के समर्थक धमकी भरे फोन कर रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  • Sakshi Malik ने 21 दिसंबर को लिया था रेसलिंग से संन्यास
  • संजय सिंह को बनाया गया डब्ल्यूएफआई का नया अध्यक्ष
  • Sakshi Malik ने रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था

Sakshi Malik ने पत्रकारों से कहा हमें नए महासंघ से कोई परेशानी नहीं है। सिर्फ एक व्यक्ति संजय सिंह के रहने से परेशानी है। संजय सिंह के बिना नये महासंघ से या समस्त समिति से भी हमें कोई मसला नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार हमारे लिये अभिभावक की तरह है और मैं उनसे अनुरोध करूंगी कि आने वाले पहलवानों के लिये कुश्ती को सुरक्षित बनाये। आपने देखा है कि संजय सिंह का बर्ताव कैसा है। मैं नहीं चाहती कि महासंघ में उसका दखल हो। उन्होंने कहा कि मैं अनुरोध ही कर सकती हूं। अगर मंत्रालय कहता है कि वह वापिस नहीं आयेगा तो अच्छा है। सभी ने देखा कि डब्ल्यूएफआई चुनाव के बाद बृजभूषण सिंह ने कैसे सत्ता का दुरूपयोग किया। बिना किसी से पूछे अपने शहर में जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कराने का ऐलान कर दिया। Sakshi Malik ने समिति से तुरंत जूनियर वर्ग के टूर्नामेंट कराने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहती कि हमारी वजह से जूनियर पहलवानों का नुकसान हो। समिति सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप की घोषणा कर चुकी है और अब मैं अनुरोध करूंगी कि अंडर 15, अंडर 17 और अंडर 20 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का भी ऐलान किया जाये।
इस बीच सैकड़ों जूनियर पहलवान अपने कैरियर में एक महत्वपूर्ण साल बर्बाद होने के खिलाफ बुधवार को जंतर मंतर पर जमा हुए हैं और उन्होंने इसके लिये बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को दोषी ठहराया।

Sakshi Malik ने कहा कि पिछले दो तीन दिन से बृजभूषण के गुंडे सक्रिय हो गए हैं। मेरी मां को धमकीभरे फोन किये जा रहे हैं। लोग फोन करके कह रहे हैं कि मेरे घर में किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। सोशल मीडिया पर लोग हमें गालियां दे रहे हैं लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिये कि उनके घर में भी बहन बेटियां हैं। यह पूछने पर कि क्या वह खेल प्रशासक बनना चाहती हैं, उन्होंने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं परेशान हूं। मैं बस इतना चाहती हूं कि जूनियर पहलवानों को नुकसान नहीं हो। इसके अलावा अभी मेरे दिमाग में कुछ नहीं है। हमें जूनियर पहलवानों के नुकसान के लिये दोषी ठहराया जा रहा है जो गलत है । अगर महिलायें खेल प्रशासन में होंगी तो अच्छा होगा। जूनियर पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन के बारे में बताने पर उन्होंने कहा कि मैने कुश्ती को 18 से 20 साल दिये हैं। मुझे ही पता है कि पिछले कुछ महीनों में मैने क्या कुछ सहा है।

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