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कप्तान उनादकट के शानदार प्रदर्शन से सौराष्ट्र ने पहली बार जीता रणजी ट्राफी का खिताब

कप्तान जयदेव उनादकट के महत्वपूर्ण मौके पर शानदार स्पैल से सौराष्ट्र ने शुक्रवार को यहां बंगाल के खिलाफ पहली पारी में बढ़त के आधार पर पहली बार रणजी ट्राफी चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया

कप्तान जयदेव उनादकट के महत्वपूर्ण मौके पर शानदार स्पैल से सौराष्ट्र ने शुक्रवार को यहां बंगाल के खिलाफ पहली पारी में बढ़त के आधार पर पहली बार रणजी ट्राफी चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। बंगाल पांचवें दिन का खेल शुरू होने से पहले पहली पारी में बढ़त हासिल करने की बेहतर स्थिति में दिख रहा था। 
अनुस्तुप मजूमदार (63) और अर्णब नंदी (नाबाद 40) ने गुरुवार को अंतिम सत्र में 91 रन जोड़कर टीम की उम्मीदें जगा दी थी। लेकिन सेमीफाइनल में गुजरात के खिलाफ अंतिम दिन सात विकेट लेकर सौराष्ट्र को फाइनल में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उनादकट ने फिर से सही समय पर बेहतरीन गेंदबाजी की और अपनी टीम को इतिहास रचने के करीब पहुंचाया। 
बायें हाथ के इस तेज गेंदबाज ने मजूमदार को पगबाधा आउट किया और फिर आकाशदीप को रन आउट किया। इन दोनों के तीन गेंद के अंदर आउट होने से मैच का पासा पलट गया। उनादकट ने सत्र में 13.23 की औसत से सर्वाधिक 67 विकेट लिये लेकिन वह सर्वकालिक रिकार्ड से एक विकेट पीछे रह गये। सुबह के सत्र में एक घंटे दस मिनट का खेल महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस बीच 27 रन बने और बंगाल ने अपने बाकी बचे चारों विकेट गंवाये। 
उसकी टीम 381 रन पर आउट हो गयी और इस तरह से सौराष्ट्र ने पहली पारी में 44 रन की बढ़त हासिल की। सौराष्ट्र ने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाये थे। सौराष्ट्र ने दूसरी पारी में जब 34 ओवर में तीन विकेट पर 105 रन बनाये थे तब दोनों कप्तानों ने मैच समाप्त करने पर सहमति जता दी। सौराष्ट्र ने इस तरह से रणजी ट्राफी चैंपियन में अपना नाम लिखवाया जबकि बंगाल का 1989-90 के बाद पहला खिताब जीतने का इंतजार बढ़ गया। 
उप विजेता बनने के बावजूद बंगाल के लिये यह यादगार सत्र रहा और वह 13 साल बाद फाइनल में पहुंचा। उसकी तरफ से तेज गेंदबाजी की तिकड़ी आकाशदीप, मुकेश कुमार और ईशान पोरेल तथा अनुभवी बल्लेबाज मनोज तिवारी और मजूमदार ने अहम भूमिका निभायी। सौराष्ट्र के लिये शेल्डन जैकसन, अर्पित वासवदा और कप्तान उनादकट की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
 पांचवें दिन चेतन सकारिया के साथ गेंदबाजी का आगाज करने वाले उनादकट ने शुरू में रक्षात्मक क्षेत्ररक्षण लगाया क्योंकि चौथे दिन टीम ने बंगाल को आसानी से रन बनाने दिये थे। सौराष्ट्र का सारा दारोमदार कप्तान पर टिका था। उन्होंने अपने महत्वपूर्ण ओवर से पहले 32 ओवर किये थे और उन्हें विकेट नहीं मिला था। लेकिन फिर भी उनादकट ने हिम्मत नहीं हारी और मुश्किल परिस्थितियों में खुद जिम्मा संभाला। मजूमदार ने 58 और नंदी ने 28 रन से अपनी पारी आगे बढ़ायी और लग रहा था कि वे जरूरी 72 रन बनाकर अपनी टीम को पहली पारी में बढ़त दिला देंगे। 
उनादकट ने ऐसे में तेजी से अंदर आती गेंद पर मजमूदार को पगबाधा आउट करके नंदी के साथ उनकी 98 रन की साझेदारी समाप्त की। मजूमदार को पवेलियन भेजने के बाद उनादकट ने अपनी सतर्कता से आकाशदीप को रन आउट किया। आकाशदीप क्रीज के बाहर खड़े थे। विकेटकीपर ने इसे भांप लिया लेकिन उनका सीधा थ्रो विकेट पर नहीं लगा और ऐसे में गेंदबाज ने विकेट उखाड़ा। 
इस तरह से सौराष्ट्र को तीन गेंद के अंदर दूसरा विकेट मिल गया। कोरोना वायरस के खतरे के कारण यह मैच खाली स्टेडियम में खेला जा रहा था लेकिन सौराष्ट्र के खिलाड़ियों का जश्न स्टेडियम को गुंजायमान करने के लिये पर्याप्त था।राजकोट, (भाषा): कप्तान जयदेव उनादकट के महत्वपूर्ण मौके पर शानदार स्पैल से सौराष्ट्र ने शुक्रवार को यहां बंगाल के खिलाफ पहली पारी में बढ़त के आधार पर पहली बार रणजी ट्राफी चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 
बंगाल पांचवें दिन का खेल शुरू होने से पहले पहली पारी में बढ़त हासिल करने की बेहतर स्थिति में दिख रहा था। अनुस्तुप मजूमदार (63) और अर्णब नंदी (नाबाद 40) ने गुरुवार को अंतिम सत्र में 91 रन जोड़कर टीम की उम्मीदें जगा दी थी। लेकिन सेमीफाइनल में गुजरात के खिलाफ अंतिम दिन सात विकेट लेकर सौराष्ट्र को फाइनल में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उनादकट ने फिर से सही समय पर बेहतरीन गेंदबाजी की और अपनी टीम को इतिहास रचने के करीब पहुंचाया।
 बायें हाथ के इस तेज गेंदबाज ने मजूमदार को पगबाधा आउट किया और फिर आकाशदीप को रन आउट किया। इन दोनों के तीन गेंद के अंदर आउट होने से मैच का पासा पलट गया। उनादकट ने सत्र में 13.23 की औसत से सर्वाधिक 67 विकेट लिये लेकिन वह सर्वकालिक रिकार्ड से एक विकेट पीछे रह गये। सुबह के सत्र में एक घंटे दस मिनट का खेल महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस बीच 27 रन बने और बंगाल ने अपने बाकी बचे चारों विकेट गंवाये। उसकी टीम 381 रन पर आउट हो गयी और इस तरह से सौराष्ट्र ने पहली पारी में 44 रन की बढ़त हासिल की। 
सौराष्ट्र ने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाये थे। सौराष्ट्र ने दूसरी पारी में जब 34 ओवर में तीन विकेट पर 105 रन बनाये थे तब दोनों कप्तानों ने मैच समाप्त करने पर सहमति जता दी। सौराष्ट्र ने इस तरह से रणजी ट्राफी चैंपियन में अपना नाम लिखवाया जबकि बंगाल का 1989-90 के बाद पहला खिताब जीतने का इंतजार बढ़ गया। उप विजेता बनने के बावजूद बंगाल के लिये यह यादगार सत्र रहा और वह 13 साल बाद फाइनल में पहुंचा। उसकी तरफ से तेज गेंदबाजी की तिकड़ी आकाशदीप, मुकेश कुमार और ईशान पोरेल तथा अनुभवी बल्लेबाज मनोज तिवारी और मजूमदार ने अहम भूमिका निभायी। 
सौराष्ट्र के लिये शेल्डन जैकसन, अर्पित वासवदा और कप्तान उनादकट की भूमिका महत्वपूर्ण रही। पांचवें दिन चेतन सकारिया के साथ गेंदबाजी का आगाज करने वाले उनादकट ने शुरू में रक्षात्मक क्षेत्ररक्षण लगाया क्योंकि चौथे दिन टीम ने बंगाल को आसानी से रन बनाने दिये थे। सौराष्ट्र का सारा दारोमदार कप्तान पर टिका था। 
उन्होंने अपने महत्वपूर्ण ओवर से पहले 32 ओवर किये थे और उन्हें विकेट नहीं मिला था। लेकिन फिर भी उनादकट ने हिम्मत नहीं हारी और मुश्किल परिस्थितियों में खुद जिम्मा संभाला। मजूमदार ने 58 और नंदी ने 28 रन से अपनी पारी आगे बढ़ायी और लग रहा था कि वे जरूरी 72 रन बनाकर अपनी टीम को पहली पारी में बढ़त दिला देंगे। 
उनादकट ने ऐसे में तेजी से अंदर आती गेंद पर मजमूदार को पगबाधा आउट करके नंदी के साथ उनकी 98 रन की साझेदारी समाप्त की। मजूमदार को पवेलियन भेजने के बाद उनादकट ने अपनी सतर्कता से आकाशदीप को रन आउट किया। आकाशदीप क्रीज के बाहर खड़े थे। विकेटकीपर ने इसे भांप लिया लेकिन उनका सीधा थ्रो विकेट पर नहीं लगा और ऐसे में गेंदबाज ने विकेट उखाड़ा। 
इस तरह से सौराष्ट्र को तीन गेंद के अंदर दूसरा विकेट मिल गया। कोरोना वायरस के खतरे के कारण यह मैच खाली स्टेडियम में खेला जा रहा था लेकिन सौराष्ट्र के खिलाड़ियों का जश्न स्टेडियम को गुंजायमान करने के लिये पर्याप्त था।

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