नई दिल्ली : भारतीय खेल नायको को यह समझने की जरुरत होती है कि करियर के आखिरी दौर में वे उस युवा की तरह नहीं हो सकते जब उन्होंने पदार्पण किया था। भारत में ज्यादातर खेल नायक क्रिकेट की दुनिया से ही आते है सो क्रिकेटरों को तो इस बात का सही ख्याल रखना चाहिए कि उन्हें कब रिटायर हो जाना चाहिए।
इस समय धोनी और युवराज जैसे क्रिकेटरों को अपने सुनहरे अतीत को भुला कर वास्तविकताओं का सामना करना चाहिए। वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में धोनी की 114 गेंदों पर 54 रन की पारी ने भारत के सबसे सफल कप्तान और सबसे बड़े फिनिशर के करियर पर सवाल खड़े कर दिये है और भारतीय क्रिकेट को इतने सफल मुकाम पर ले जाने वाले थिंक टैंक को कड़ा फैसला लेने के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
संकट के दिनों में हमेशा टीम के साथ नजर आने वाला भारतीय थिंक टैंक धोनी को लेकर इस समय गहरी चिंता में दिख रहा है। याद करे इससे पहले 2015 विश्व कप सेमीफाइनल मैच में भी धोनी की 94 गेंदों पर 65 रनों की पारी के कारण भी भारत को हार का सामना करना पड़ा था। उस समय भी केवल शेन वार्न के अलावा किसी ने भी धोनी प्रदर्शन पर सवाल नहीं उठाया था। लेकिन करीब ढाई साल बाद यह सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है। धोनी अब वह फिनिशर नहीं रहे है जिसके लिये वह विख्यात हो गये थे। वेस्ट इंडीज के खिलाफ चौथे वनडे मुकाबले में वह मैच को अंत तक ले जाकर खत्म करने की कोशिश में थे।
वह कामयाब नहीं हो सके और भारत को 11 रनों से हार का सामना करना पड़ा। अगर हम रविवार का मैच छोड़ भी दें तो क्या हाल-फिलहाल में धोनी ने अपनी बल्लेबाजी से कोई प्रेरणादायी पारी खेली है? धोनी ने पिछले मुकाबले में भी अर्धशतक जमाया था और अपने आपको पुरानी वाइन जैसा बताया था। लेकिन क्या धोनी अब वैसा खेल दिखा पा रहे है जिसके चलते उन्हें पुरानी वाइन जैसा नशीला बनाता हो।
धोनी अब उस तरह की पारियां खेलने में सक्षम नहीं दिख रहे है और उनकी बल्लेबाजी को लेकर सवाल उठ रहे है टीम इंडिया में नंबर सात पर धोनी का विकल्प तलाशना इस समय सबसे बड़ी बात होगी लेकिन अगर धोनी पर कोई फैसला ही नहीं हो पाएगा तो उपलब्ध विकल्पों को आजमाने का समय विश्व कप से पहले मिल ही नहीं पाएगा। युवा रिषभ पंत इस समय अपने आप को साबित करने को लालायित है। लेकिन क्या धोनी, जो आजकल मिडल ऑर्डर ऐंकर की भूमिका के तौर पर नजर आने का प्रयास कर रहे हैं, ने ऐसी बल्लेबाजी की जिसमें टीम के लिए वापसी की कोई राह खुलती नजर आए?
बढ़ती उम्र का असर दिख रहा धोनी पर
यह स्वाभाविक है कि उम्र के साथ आप उतने अच्छे फिनिशर न रह जाएं जितना कि आप पहले हुआ करते थे? बढ़ती उम्र के साथ उनके धोनी के हाथों की मूवमेंट उनकी आंखों के साथ प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। धोनी में अब वह करिश्मा शायद नहीं दिख रहा जो उनकों सबसे अलग और चालाक क्रिकेटर बनाता था। लक्ष्य का पीछा करते हुए मैैच को फिनिश करने के दौरान स्ट्राइक बदलते हुए चौंकाने वाला बड़ा शॉट खेलने की क्षमता धोनी को सबका दुलारा बना देती थी। धोनी को अब समझना होगा कि उनकी अपनी सीमाएं है और उन्हें अब नंबर पांच पर एंकर की भूमिका को समझने में ध्यान लगाते देखा जा सकता है लेकिन क्या यह टीम की आवश्यकता है? क्या भारत को 2019 के विश्वकप से पहले अपने नंबर चार, पांच और छह के बल्लेबाजों को लेकर विचार करने की आवश्यकता नहीं है? भारत को अगर अपने आप को विश्वकप से पहले मजबूत बनाना है तो इन तीन स्थानों को लेकर अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी।
नरेश चौहान