Indian cricketer टीम के फिरकी गेंदबाज कुलदीप यादव ने एक इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम इस समय इंग्लैंड दौरे पर गई हुई है।
इंग्लैंड के खिलाफ पहले वनडे में भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज कुलदीप यादव ने 10 ओवर में 25 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे। कुलदीप यादव का यह नॉटिंघम में यह प्रदर्शन एकदिवसीय क्रिकेट में वल्र्ड रिकॉर्ड बन गया है।
नॉटिंघम में बनाया इस Indian cricketer ने वर्ल्ड रिकॉर्ड
Indian cricketer कुलदीप यादव बाएं हाथ से गेंदबाजी करने वाले पहले स्पिनर हैं जिन्होंने वनडे क्रिकेट में 6 विकेट हासिल किए हैं।
लेकिन इस चकाचौंथ भरी जिंदगी में एक ऐसा भी सच है जो कुलदीप यादव के बारे में आप सबको हैरान कर देगा। बता दें कि जब कुलदीप यादव महज 13 साल के थे तब वह सुसाइड करने वाले थे।
Indian cricketer कुलदीप निराशा के भंवर से भी निकले हैं
Indian cricketer कुलदीप यादव क्रिकेट की दुनिया में ‘कनपुरिया लौंडा’ के नाम से जानें जाते हैं। कुलदीप यादव 23 साल के हैं और वह बताते हैं कि उन्हें तब बहुत खुशी होती है, जब क्रिकेट की नई पीढ़ी यह कहती है कि वह उनकी तरह बनना चाहते हैं।
लेकिन बता दें Indian cricketer कुलदीप की इस सफलता के पीछे सिर्फ जी-तोड़ मेहनत नहीं है बल्कि मन के भंवर और निराशा से निकलने की भी एक दास्तान है।
Indian cricketer कुलदीप यादव महज 13 साल के ही थे
जब कुलदीप यादव 13 साल के थे तब उनके दिल में क्रिकेट और आंखों में नीली जर्सी का ख्वाब था। लेकिन कुलदीप यादव उस समय टूट गए थे जब उत्तर प्रदेश की अंडर-15 टीम में उनका चयन नहीं हुआ था।
इस घटना ने इस युवा खिलाड़ी को अंदर इस कदर तोड़ दिया था कि उन्होंने क्रिकेट कभी नहीं खेलने का प्रण लिया था। लेकिन कहते हैं ना कि वक्त कभी एक समान नहीं रहता। समय का पहिया घूमता रहता है।
‘मैं पूरी तरह फ्रस्टेट हो चुका था’ : कुलदीप यादव
इस वाकये के बारे में कुलदीप यादव ने बताया था, ‘मैंने मन बना लिया था कि मैं अब कभी क्रिकेट नहीं खेलूंगा। मैंने सेलेक्शन के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन मुझे नहीं चुना गया। मैं तब इस कदर फ्रस्टेट हो गया था कि मैंने आत्महत्या करने की सोच ली थी। यह यकीनन हीट ऑफ द मोमेंट था।’
मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते थे पिता
कुलदीप ने आगे कहा, ‘स्कूल में मैं पढ़ाई में बहुत होनहार था। मैंने सिर्फ मस्ती के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इसमें करियर बनाऊंगा। हालांकि, मेरे पिता चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं और वही मुझे कोच के पास लेकर गए थे।’