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टोक्यो ओलंपिक: भारतीय पुरुष हॉकी टीम की शर्मनाक हार, आस्ट्रेलिया ने 7-1 से रौंदा

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम से काफी उम्मीदें है, भारतीय दल ने जैसा प्रदर्शन न्यूजीलैंड के खिलाफ किया, उससे उम्मीद काफी बढ़ गई थी। लेकिन उन सभी उम्मीदों को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रविवार को चकनाचूर कर दिया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम को बेजान आक्रमण और ढीले रक्षण के कारण तोक्यो ओलंपिक खेलों के ग्रुप ए के दूसरे मैच में रविवार को यहा मजबूत आस्ट्रेलिया से 1-7 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पेनल्टी कार्नर में सुधार के संकेत दिये थे लेकिन आस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके ड्रैग फ्लिकर पंगु नजर आये। आस्ट्रेलिया ने पहले हॉफ में ही 4-0 की बढ़त हासिल करके अपनी जीत सुनिश्चित कर ली थी। भारतीयों ने दूसरे हॉफ के शुरू में कुछ दम दिखाया लेकिन आस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ शुरू में बड़े अंतर से पिछड़ने के बाद वापसी करना आसान नहीं था। भारतीय खिलाड़ियों ने हडबड़ाहट भी दिखायी जिसका फायदा आस्ट्रेलिया को ही मिला।
आस्ट्रेलिया की तरफ से डेनियल बील (10वें), जेरेमी हेवार्ड (21वें), फ्लिन ओगलीवी (23वें), जोशुआ बेल्ट्ज (26वें), ब्लैक गोवर्स (40वें और 42वें) और टिम ब्रांड (51वें मिनट) ने गोल किये। भारत के लिये दिलप्रीत सिंह ने 34वें मिनट में एकमात्र गोल किया। भारत अपना अगला मैच 27 जुलाई को स्पेन के खिलाफ खेलेगा।
आस्ट्रेलिया ने शुरू से आक्रामक रवैया अपनाया। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहले हॉफ में ही उसने 11 शॉट गोल पर मारे जिसमें उसने चार को गोल में बदला। भारत इस बीच तीन शॉट ही आस्ट्रेलियाई गोल पर मार पाया लेकिन उसे उसमें कोई सफलता नहीं मिली। इस बीच यदि गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने दो खूबसूरत बचाव नहीं किये होते तो भारत की स्थिति और बदतर होती।
वैसे बढ़त बनाने का पहला मौका भारत को मिला था लेकिन पेनल्टी कार्नर पर हरमनप्रीत सिंह का शॉट थोडा ऊंचा रहा और इस तरह से टीम के हाथ से स्वर्णिम अवसर चला गया। इसके बाद भी टीम ने पेनल्टी कार्नर हासिल किये लेकिन किसी भी समय उन्हें गोल में बदलने की वैसी झलक नहीं दिखी जो न्यूजीलैंड के खिलाफ दिखी थी। उधर आस्ट्रेलिया ने जवाबी हमले में पेनल्टी कार्नर हासिल किया और बील ने जैक वेटन के करारे शॉट को बड़ी चालाकी से गोल में पहुंचाया। आस्ट्रेलिया पहले क्वार्टर के बाद 1-0 से आगे था।
भारत के पास वापसी का मौका था लेकिन रूपिंदरपाल सिंह पेनल्टी लेते समय लय में नहीं दिखे जबकि ललित उपाध्याय एक अवसर पर अकेले आस्ट्रेलियाई रक्षापंक्ति में सेंध नहीं लगा सके। इस दौरान भारतीय स्ट्राइकरों के बीच आपसी तालमेल का अभाव भी देखने को मिला। भारतीय टीम इसके बाद छितरी हुई सी नजर आयी तथा मध्यपंक्ति और अग्रिम पंक्ति में तालमेल कतई नहीं दिखा। रक्षापंक्ति में सेंध लगाना आस्ट्रेलिया के लिये आसान रहा और उसने इसका फायदा उठाकर छह मिनट के अंदर तीन गोल कर दिये।
आस्ट्रेलिया को 21वें मिनट में पेनल्टी कार्नर मिला जिस पर हेवार्ड का शॉट इतना तीखा था कि श्रीजेश सहित भारतीय खिलाड़ियों को गेंद बोर्ड पर टकराने के बाद ही दिखी। इसके दो मिनट बाद ओगलीवी को रोकने के लिये भारतीय रक्षापंक्ति में कोई खिलाड़ी नहीं था।
खेल के 26वें मिनट में बेल्ट्ज ने अपने बैकहैंड शॉट का अच्छा नजारा पेश किया। इस बार भी भारतीय रक्षक बगलें झांकते हुए ही नजर आये। बायें छोर से जब टिम ब्रांड गेंद को आगे बढ़ा रहे थे तो उन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। भारत मध्यांतर के बाद शुरू में थोड़ा आक्रामक दिखा लेकिन इसके बाद आस्ट्रेलिया ने फिर से उसे अपने इशारों पर नचाया। भारत ने शुरू में पेनल्टी कार्नर हासिल किया लेकिन रूपिंदर फिर से चूक गये।
इसके तुरंत बाद दिलप्रीत को रूपिंदर से गेंद मिली जिस पर वह आस्ट्रेलियाई गोलकीपर को छकाने में कामयाब रहे। आस्ट्रेलिया को 40वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिसे गोवर्स ने आसानी से गोल में बदला। इसके दो मिनट बाद गोवर्स ने दूसरे पेनल्टी कार्नर पर करारा शॉट जमाया जो गोली की तरह श्रीजेश के बगल से निकल गया था। आस्ट्रेलिया 6-1 से आगे हो गया जो हॉकी मैच का नहीं टेनिस मैच का स्कोर लग रहा था।
आस्ट्रेलिया की गोल की भूख इससे भी कम नहीं हुई। चौथे क्वार्टर में आते ही वह आक्रमण पर उतारू हो गया। ऐसे में ब्रांड ने 51वें मिनट में गोल करके जले पर नमक छिड़कने का काम ही किया। श्रीजेश अपनी लाइन पर नहीं थे और बाकी रक्षक महज दर्शक बने हुए थे।