विजय हजारे ट्रॉफी के ग्रुप ए के मैच में मुंबई ने गोवा को 130 रनों से करारी मात दे दी। गोवा के खिलाफ इस मैच में मुंबई के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल और आदित्य तारे ने पहले विकेट के लिए 152 रनों की साझेदारी की। मुंबई के ओपनर यशस्वी जयसवाल ने 113 रनों की शतकीय पारी खेली तो वहीं आदित्य तारे ने 86 रनों की पारी खेली।
50 ओवरों में मुंबई ने 362 रन 4 विकेट के नुकसान पर बनाए जबकि गोवा ने जवाब में 232 रन ही 48.1 ओवर में बना पाई। लिस्ट ए क्रिकेट में 17 साल के जयसवाल ने गोवा के खिलाफ अपना दूसरा ही मैच खेला। जयसवाल ने 113 रनों की पारी 128 गेंदों में बनाए साथ ही छह चौकेे और पांच छक्के जड़े।
गोवा के खिलाफ इस मैच में मुंबई के कप्तान श्रेयस अय्यर ने 47 रनों की पारी 29 गेंदों में खेली, सूर्यकुमार यादव ने नाबाद 34 रनों की पारी 21 गेंदों में खेली और शिवम दूबे ने नाबाद 33 रनों की 13 गेंदों में खेली। वहीं गोवा की तरफ से क्रिकेटर स्नेहल कौथांकर ने 50 रनों की पारी खेली।
जोड़े 150 रन जयसवाल-तारे ने
गोवा के खिलाफ मैच में मुंबई ने पहले बल्लेबाजी की थी। गोवा के गेंदबाजों की मुंबई के ओपनिंग बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल और अादित्य तारे ने खबर लेते हुए पहले विकेट के लिए 152 रनों की साझेदारी की। 29 ओवरों तक दोनों बल्लेबाजों की यह साझेदारी की। दोनों की यह साझेदारी तारे के आउट होने के बाद टूट गई।
लेकिन तारे के आउट होने के बाद मुंबई के बल्लेेबाजों ने रनों की स्पीड को और भी बढ़ गई। 23 गेंदों में सिद्धेश लाड ने 34 रन बनाए। पारी के दौरान 4 चौके और 1 छक्का जड़ा। लाड और जायसवाल ने दूसरी विकेट के लिए 72 रनों की साझेदारी की।
अंतिम 4 ओवर में दुबे-यादव ने 52 रन बनाए
कप्तान श्रेयस अय्यर ने तबाड़तोड़ बल्लेबाजी की। श्रेयस अय्यर ने 20 गेंदों में 47 रन बनाए और इस दौरान उन्होंने ने 4 चौके और 2 छक्के जड़े। 47वें ओवर की दूसरी गेंद पर श्रेयस अय्यर आउट हो गए जिसके बाद सूर्यकुमार यादव और शिवम दुबे ने आखिरी 22 गेंदों में 52 रनों की साझेदारी की। इस दौरान यादव ने 3 छक्के और दुबे ने 4 छक्के लगाए।
यशस्वी मुंबई गए घर छोड़कर
मुंबई के सलामी बल्लेबाज यशस्वी की जिंदगी बहुत ही संघर्ष भरी रही है। क्रिकेट में अपना कैरियर बनाने के लिए यूपी से मुंबई कम उम्र में ही आ गए थे। यशस्वी के पिता के लिए पूरे परिवार को पालना बहुत ही मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने ऐतराज नहीं किया।
मुंबई में उनके चाचा का घर था लेकिन वहां पर ज्यादा जगह नहीं थी इसलिए वह मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से जुड़ गए थे। क्लब से जुड़ने के बाद वह एक टैंट में रहने लग गए थे। एक टैंट में वह 3 सालों तक रहे थे।
गोलगप्पे बेचे, भूखे रहे और फिर….
कई बार मुंबई यशस्वी के पिता ने पैसे भेजे लेकिन वह पूरे नहीं हो पाते थे। बता दें कि आजाद मैदान पर जब रामलीला लगती थी तो गोलगप्पे तक भी यशस्वी ने बेच रखे हैं। हालांकि इन सभी के बाद भी कई रातों तक भूखा यशस्वी को सोना पड़ा था।
स्थानीय कोच ज्वाला सिंह से इस दौरान यशस्वी की मुलाकात हुई थी। यशस्वी की जिंदगी में जब कोच ज्वाला सिंह आए तो जिंदगी बिल्कुल ही पलट गई। क्रिकेट खेल में उन्होंने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ना शुरु कर दिया। इंडिया अंडर 19 टीम में भी यशस्वी का चयन हो गया था।