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धोनी के लिये आसान नहीं होगी राह

महेंद्र सिंह धोनी ने 2018 में सात टी20 मैच खेले और उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 28 गेंद में नाबाद 52 रन की रही।

नई दिल्ली : महेंद्र सिंह धोनी की गिनती उन नायाब खिलाड़ियों में होती है जो बरसों में एक बार पैदा होते हैं लेकिन अब तक अपना मुस्तकबिल खुद लिखते आये पूर्व कप्तान के लिये अगले साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप तक राह उतनी आसान नहीं होगी। भारत की टी20 टीम से बाहर होने के बाद संभवत: क्रिकेट का यह महासमर आखिरी मौका होगा जब कभी ‘कैप्टन कूल’ तो कभी ‘मुकद्दर के सिकंदर’ जैसी उपमाओं से नवाजे गए इस दिग्गज को आखिरी बार हम टीम इंडिया की जर्सी में देखेंगे। राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उन्हें सीमित ओवरों के दो में से एक प्रारूप में बाहर करके पहले संकेत दे दिये हैं ।

बीसीसीआई के एक आला अधिकारी ने कहा कि यह तय है कि आस्ट्रेलिया में 2020 में होने वाला टी20 विश्व कप धोनी नहीं खेलेंगे लिहाजा उन्हें टीम में बनाये रखने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा कि चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन ने इस पर काफी बात की है। विराट कोहली और रोहित शर्मा भी चयन समिति की बैठक में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि क्या आपको लगता है कि उनकी रजामंदी के बिना चयनकर्ता यह फैसला ले सकते थे। धोनी ने 2018 में सात टी20 मैच खेले और उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 28 गेंद में नाबाद 52 रन की रही। बाकी छह पारियों में उन्होंने 51 गेंद में 71 रन बनाये। इंग्लैंड में विश्व कप में धोनी विकेटकीपर के तौर पर पहली पसंद होंगे लेकिन बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि वेस्टइंडीज के खिलाफ मौजूदा श्रृंखला के बाकी तीन मैचों में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है।

अगले दो महीने तक उन्हें मैच अभ्यास भी नहीं मिल सकेगा क्योंकि भारत अगले वनडे जनवरी से मार्च के बीच खेलेगा। चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद विकेटकीपर के रूप में दूसरे विकल्प पर बात कर चुके हें और ऋषभ पंत पर टीम प्रबंधन ने भरोसा जताया है। अब सवाल यह है कि बाकी तीन मैचों में धोनी का बल्ला नहीं चल पाता है तो क्या होगा। वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के बाद धोनी को घरेलू वनडे मैच भी खेलने को नहीं मिलेंगे क्योंकि देवधर और विजय हजारे ट्राफी खत्म होने को है। भारत के एक पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि यदि पंत अच्छा खेलता है और धोनी का खराब फार्म बरकरार रहता है तो क्या उसे विश्व कप टीम में रखा जायेगा।

किस आधार पर। धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने या सीमित ओवरों में कप्तानी छोड़ने का फैसला भले ही अचानक लिया हो लेकिन उन्हें करीब से जानने वालों को पता है कि इसके पीछे कितना सोच विचार किया गया होगा। विश्व कप उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा लेकिन यह नहीं भुलाया जा सकता कि टेस्ट क्रिकेट से उन्होंने कैसे एक झटके में संन्यास ले लिया था। एक श्रृंखला के बीच में और प्रेस कांफ्रेंस के बाद जिसमें कोई संकेत नहीं दिया गया। बीसीसीआई की एक विज्ञप्ति से इसकी जानकारी मिले। महेंद्र सिंह धोनी का जहां तक सवाल है तो कुछ भी अप्रत्याशित वह कर सकते हैं।

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