क्या टेस्ट क्रिकेट से टॉस का बॉस खत्म हो जाएगा ? अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट (आईसीसी) में टॉस की परंपरा 141 साल पुरानी है और हर मैच की शुरुआत इसी परंपरा से होती है लेकिन आईसीसी की क्रिकेट समिति इस बात पर बहस करने को तैयार है कि आगामी टेस्ट चैंपियनशिप के लिए टॉस को रखा जाए या नहीं ताकि घरेलू टीम अपने मैदान का एडवांटेज न ले सके। टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत 1877 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एमसीजी में हुई थी और तब से सिक्के की उछाल पर टॉस यह फैसला करता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी करेगी और कौन सी टीम पहले फीलि्डंग करेगी। टॉस में घरेलू कप्तान सिक्का उछलता है और मेहमान कप्तान हैड या टेल मांगता है। हालांकि यह विचारधारा तेजी से बढ़ती जा रही है कि घरेलू बोर्ड अपने हिसाब से परिस्थितियों को बनाता है जिससे टॉस का महत्त्व ही कम हो जाता है। यह प्रस्ताव दिया जा रहा है कि टेस्ट चैंपियनशिप में खेले जाने वाले मैचों में टॉस को ही खत्म कर दिया जाए ताकि कोई टॉस का बॉस नहीं बन सके।
टेस्ट चैंपियनशिप ऑस्ट्रेलिया के 2019 में इंग्लैंड के एशेज दौरे से शुरू होनी है जिसमें मेहमान टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का फैसला करेगी। इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप में 2016 के सत्र से यह शुरूआत की गयी है कि मेहमान टीम बल्लेबाजी या गेंदबाजी चुने।आईसीसी की क्रिकेट समिति की बैठक मई के अंत में मुंबई में होनी है और उससे पहले इस तरह के नोट्स सामने आ रहे हैं कि टॉस को समाप्त करने के बारे में सोचा जा सकता है। इस बात पर बराबर चिंता जताई जाती है कि घरेलू बोर्ड अपने हिसाब की पिच तैयार करने में दखल देता है। एक से ज्यादा समिति सदस्य का कहना है कि हर मैच में टॉस सीधे मेहमान टीम को दे दिया जाना चाहिए जबकि कुछ समिति सदस्य इस बात से सहमत नजर नहीं आते हैं। नौ पूर्ण सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया, बंगलादेश, इंग्लैंड, भारत, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्ट इंडीज पहली बार हो रही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे जिसका फाइनल 10-14 जून 2021 में खेला जाएगा।
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