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नये बैडमिंटन नियमों पर कोचों ने उठाये सवाल

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नई दिल्ली : बैडमिंटन विश्व महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) के कोर्ट पर कोचिंग में कमी लाने और स्कोरिंग प्रणाली में बदलाव के प्रस्ताव से अंतर्राष्ट्रीय कोच भ्रम में हैं और पुलेला गोपीचंद तथा केनेथ योनासन जैसे कोचों ने इस कदम के पीछे के तर्क पर सवाल उठाए हैं। मैच के दौरान प्रत्येक गेम में किसी एक खिलाड़ी के 11 अंक होने और गेम खत्म होने पर कोर्ट पर कोचिंग की स्वीकृति है लेकिन बीडब्ल्यूएफ ने प्रस्ताव रखा है कि इसमें कमी लाई जाएगी लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया है कि इसे कितना कम किया जाएगा। विश्व महासंघ ने मौजूदा तीन गेम की जगह बेस्ट आफ फाइव प्रारूप का प्रस्ताव रखा है। साथ ही सुझाव दिया गया है कि मौजूदा 21 अंक के प्रारूप की जगह प्रत्येक गेम में 11 अंक होंगे। मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कोर्ट पर कोचिंग में कमी लाने को कैसे लागू किया जाएगा और ना ही उन्हें इसके पीछे का तर्क पता है।

गोपीचंद ने कहा कि मुझे नहीं पता कि संभावित बदलाव क्या हैं, मैंने विस्तृत ड्राफ्ट नहीं देखा है इसलिए मुझे नहीं पता। मुझे लगता है कि एक समय था जब कोर्ट पर कोचिंग नहीं होती थी और उन्होंने इसे शामिल किया। वे फिर इसमें कमी लाना चाहते हैं। इसलिए मुझे इसके पीछे का तर्क समझ नहीं आता। विक्टर एक्सेलसन को विश्व चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक और दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले डेनमार्क के मुख्य कोच केनेथ का मानना है कोर्ट पर कोचिंग बैडमिंटन का बेजोड़ पक्ष है और यह दर्शकों के लिए भी रोचक होता है।

केनेथ ने कहा कि मेरा मानना है कि कोर्ट पर कोचिंग बैडमिंटन को अन्य खेलों से अलग करता है जो एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। जो मुझे समझ आता है- टीवी दर्शकों को यह पसंद है, इससे सभी को पता चलता है कि असल में क्या हो रहा है और यह दर्शकों के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि बीडब्ल्यूएफ कह सकता है कि वे खिलाड़ियों को अधिक आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और कोई इसमें बहस भी नहीं करेगा और ना कर सकता है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कोर्ट पर कोचिंग को बदलने का कारण है।

यह सिर्फ बदलाव के लिए बेहद अच्छा और चतुराई भरा बहाना है। बीडब्ल्यूएफ ने गेम के लंबा होने के लिए कोर्ट पर कोचिंग को जिम्मेदार ठहराया है, यह खराब बहाना है। पूर्व भारतीय कोचों विमल कुमार और सैयद मोहम्मद आरिफ ने हालांकि इन प्रस्तावित नियमों का समर्थन करते हुए कहा कि यह खिलाड़ियों को मजबूत बनाएंगे। मौजूदा 21 अंक की जगह 11 अंक की स्कोरिंग प्रणाली को नियम बनाने के प्रस्ताव पर गोपीचंद ने कहा कि शुरू में कुछ खिलाड़ियों को फायदा होगा जबकि कुछ को परेशानी होगी। इन नियमों में बदलाव के लिए जो कारण बताए गए हैं मैं उनसे काफी सहमत नहीं हूं। 21 अंक की प्रणाली सफल रही, यह कई देशों में लोकप्रिय है। केनेथ ने भी कहा कि वह नयी स्कोरिंग प्रणाली को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं।

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