कोलंबो टेस्ट में श्रीलंका को हराने में मुख्य भूमिका निभाने वाले गेंदबाज रविंद्र जडेजा को नियमों का उल्लंघन करने की वजह से पल्लेकल में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। इस तरह तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया को जडेजा की सेवा नहीं मिल पाएगी। जडेजा पर कोलंबो में तीसरे दिन के खेल के दौरान गलत ढंग से गेंद को थ्रो करने का आरोप है।
कोलंबो टेस्ट समेत पिछले 24 महीने में जडेजा के खिलाफ डिमेरिट प्वाइंट 6 तक पहुंच गया था। जिसके बाद आईसीसी ने जडेजा के खिलाफ यह एक्शन लिया। आईसीसी ने कार्रवाई के तौर पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना के अलावा तीन डिमेरिट प्वाइट उन पर लगाए हैं। जडेजा को आईसीसी की धारा 2.2.8 के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। इसका साफ मतलब यह है कि अनुचित या खतरनाक तरीके से किसी भी खिलाड़ी, खिलाड़ी के समर्थक, अंपायर या मैच रेफरी की ओर गेंद या कोई अन्य उपकरण जैसे पानी की बोतल आदि फेंकना गलत है।
इससे पहले जडेजा पर आचार संहिता की धारा- 2.2.11 के उल्लंघन के मामले में अक्टूबर 2016 में न्यूजीलैंड के खिलाफ इंदौर टेस्ट के दौरान 50 जुर्माने के साथ तीन डिमेरिट प्वाइट लगाए गए थे। तब जडेजा को दो बार अनौपचारिक और एक आधिकारिक चेतावनी भी दी गई थी। वह चौथी बार पिच में सुरक्षित क्षेत्र में घुसे और उसे नुकसान पहुंचाया। कोलंबो टेस्ट के तीसरे दिन, जब श्रीलंका की टीम दूसरी पारी में फॉलोऑन खेलने उतरी, तो उनकी पारी के 58वें ओवर में रवींद्र जडेजा ने अपने फॉलो थ्रू में गेंद को फील्ड करके क्रीज पर मौजूद श्रीलंकाई बल्लेबाज दिमुथ करुणारत्ने पर अनावश्यक थ्रो कर दिया, जबकि बल्लेबाज ने रन लेने प्रयास भी नहीं किया था।
मैदान पर मौजूद ऑन फिल्ड अंपायरों ने माना कि जडेजा का वह थ्रो बल्लेबाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता था। मैदानी अंपायर ब्रूस ओक्सेनफोर्ड और रॉड टकर ने अपनी रिपोर्ट मैच रेफरी रिची रिचर्डसन को सौंपी, जिसके बाद जडेजा ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। इस निलंबन के बाद भी जडेजा के खाते में 6 डिमेरिट प्वाइंट रहेंगे। आगे अगर 24 महीने में यह संख्या 8 या उससे ज्यादा हो जाती है, तो यह चार सस्पेंशन प्वाइंट में तब्दील हो जाएगा. इसका मतलब यह है कि संबंधित खिलाड़ी को दो टेस्ट या चार वनडे इंटरनेशनल या इतने ही टी-20 इंटरनेशनल मैच- जो पहले आए, खेलने पर बैन लगाया जाएगा।