भुवनेश्वर : भारत और कनाड़ा के बीच ग्रुप सी के एक महत्वपूर्ण मुकाबले में भारतीय टीम ने कनाड़ा के खिलाफ शानदार हॉकी का प्रदर्शन करते हुए 5-1 से जीत हासिल की। भारत के लिये पहला गोल पेनल्टी कार्नर पर हरमनप्रीत सिंह ने किया। दूसरा गोल चिंगलेनसाना सिंह की स्टिक से 45वें मिनट में आया तो तीसरा गोल ललित ने 47वें मिनट में किया।
भारत को 51वें मिनट में पेनल्टी कार्नर मिला और अमित रोहिदास ने गोल दाग कर भारत के लिये चौथा गोल दाग दिया। भारत के लिये ललित उपाध्याय ने 57वें मिनट में एक और गोल कर दिया और अपनी टीम 5-1 से आगे कर दिया। भारत को आखिरी मिनट में एक और पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन यह बेकार गया।
मैच का पहला क्वार्टर शुरू होते ही भारतीय हॉकी टीम ने विपक्षी टीम पर हमले बोलने शुरू कर दिये थे और कनाड़ा की टीम ने अपने किले को बचाने के अलावा काउंटर अटैक पर ध्यान लगाया। कनाड़ा ने भी एक-दो अच्छे प्रयास किये लेकिन भारतीय टीम ने लगातार दबाव बनाये रखा और कनाड़ा के गोल पर लगातार हमले बोले।
भारत को पहला पेनल्टी कार्नर 10वें मिनट में मिला लेकिन भारतीय टीम इसे गोल में तब्दील नहीं कर सकी। भारतीय टीम ने इसके बाद 12वें मिनट में एक और पेनल्टी कार्नर हासिल किया और इस बार हरमनप्रीत सिंह ने इसे गोल में तब्दील करने में कोई कसर नही छोड़ी। भारत को 14वें मिनट में एक और पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन भारतीय टीम इस पर भी गोल नहीं कर पाई।
पहले क्वार्टर में भारत को तीन पेनल्टी कार्नर मिले जिस पर भारत एक ही गोल कर पाया। दूसरे क्वार्टर में भी भारतीय टीम आक्रामक रही और गोल करने की कई कोशिशें की लेकिन कनाड़ा का डिफेंस अलर्ट रहा और भारतीय स्ट्राइकरों को गोल नहीं करने दिया। कनाड़ा के खिलाड़ियों ने भारतीय गोलमुख तक पहुंचने के प्रयास किये लेकिन भारतीय डिफेंडर भी सतर्क थे और कनाड़ा के हमलों को नाकाम बनाते रहे।
दूसरा क्वार्टर में दोनों टीमों ने ज्यादा उर्जा नहीं दिखाई और दूसरे क्वार्टर के 11वें मिनट में भारतीय टीम ने एक अच्छा प्रयास किया लेकिन कनाड़ा के गोलकीपर ने शर्तिया गोल बचा लिया। कनाड़ा के खिलाड़ियों ने इसके बाद लगातार हमले किये और भारतीय टीम को डिफेंसिव खेलने को मजबूर किया। दूसरा क्वार्टर गोलरहित समाप्त खत्म हुआ।
तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम के तेवर बदले हुए नजर आये। भारतीय टीम ने तीसरे क्वार्टर के शुरू में ही हमला किया लेकिन गोल मुख पर अमित रोहिदास के डिफलेक्ट को लेने के लिये कोई खिलाड़ी नही था। कनाड़ा के खिलाड़ियों ने गेंद पर कब्जे की रणनीति पर काम किया।