ग्वांगझू : भारत की स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधू रविवार को यहां 2017 की विश्व चैंपियन नोजोमी ओकुहारा को हराकर विश्व टूर फाइनल्स के खिताबी मुकाबले में जीत के साथ लंबे समय बाद किसी बड़ी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं। लगातार सात फाइनल में हार के बाद सिंधू ने सीधे गेम में जीत दर्ज की और विश्व टूर फाइनल्स का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं।
लगातार तीसरी बार सत्रांत फाइनल्स में खेल रही सिंधू को पिछले साल जापान की ही अकाने यामागुची के खिलाफ शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा था लेकिन इस बार वह एक घंटे और दो मिनट चले मुकाबले में ओकुहारा को 21-19 21-17 से हराकर खिताब जीतने में सफल रहीं।
यह सिंधू के करियर का 14वां खिताब है लेकिन इस साल वह पहला खिताब जीतने में सफल रहीं। इससे पहले 2018 में उन्हें विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, थाईलैंड ओपन और इंडिया ओपन के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।
उम्मीद है अब कोई मुझसे सवाल नहीं करेगा : सिंधू
भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने यहां विश्व टूर फाइनल्स में ऐतिहासिक खिताबी जीत के बाद उम्मीद जताई कि अब कोई बड़ा खिताब जीतने की उनकी क्षमताओं पर सवाल नहीं उठाएगा। इस साल राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली सिंधू ने कहा, ‘‘मैं काफी खुश हूं।
मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं क्योंकि फाइनल में खेलने और हारने के बाद इस साल यह मेरी पहली जीत है, इसलिए यह यादगार है। सत्र का अंत खूबसूरत रहा।’ उन्होंने कहा, ‘‘हर बार लोग मेरे से समान सवाल पूछते थे। उम्मीद करती हूं कि यह सवाल दोबारा मेरे से नहीं पूछा जाएगा कि आखिर क्यों मैं बार बार फाइनल में हार जाती हूं।
मुझे लगता है कि मैं अब कह सकती हूं कि मैंने स्वर्ण पदक जीता है और मुझे इस पर बेहद गर्व है।’सिंधू के मेंटर और भारत के मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने भी फाइनल की बाधा पार करने की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘उसके फाइनल में हारने को लेकर काफी बातें हो रही थी।
लोगों को इसका इंतजार था और यह बेहतरीन है कि साल के अंत में जीत दर्ज की।’ दुनिया की छठे नंबर की खिलाड़ी सिंधू ने अपनी जीत के संदर्भ में कहा, ‘‘दो साल पहले मैं सेमीफाइनल में हार गई थी और पिछले साल मैं उप विजेता रही।