नई दिल्ली : बल्लेबाज के रूप में विराट कोहली इंग्लैंड के 2014 दौरे के बुरे सपने से शानदार तरीके से उबरने में सफल रहे लेकिन मंगलवार को संपन्न टेस्ट सीरीज से साबित हुआ कि उनकी कप्तानी में अब भी काफी सुधार की गुंजाइश है। कोहली का यह आकलन सही है कि 1-4 की हार के दौरान लार्ड्स टेस्ट के अलावा बाकी टेस्ट में इंग्लैंड की टीम पूरी तरह से उन पर दबदबा नहीं बना पाई लेकिन मेजबान टीम ने अहम मौकों पर बेहतर क्रिकेट खेला। इस सीरीज से साबित हुआ कि कोहली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में अपने समकक्षों से कहीं आगे हैं। कोहली ने सीरीज के दौरान दो शतक और दो अर्धशतक की मदद से 593 रन बनाए और इस दौरान प्रतिद्वंद्वी गेंदबाज जेम्स एंडरसन के साथ उनका संघर्ष लोगों के लिए दर्शनीय रहा। सीरीज के भारत के दूसरे सर्वोच्च स्कोर लोकेश राहुल रहे जिन्होंने 299 रन बनाए लेकिन इसमें से 149 रन उन्होंने महज औपचारिकता के अंतिम मुकाबले में बनाए जिसमें दबाव नहीं था।
विराट तैयार थे लेकिन साथी खिलाड़ियों की तैयारी में कमियां रही : कोहली ने हालांकि यह परखने में गलती की कि उनके साथी खिलाड़ी इंग्लैंड के मुश्किल हालात के लिए उतने तैयार नहीं हैं जितने वह स्वयं हैं। भारत ने काउंटी चैंपियन एसेक्स के खिलाफ एकमात्र अभ्यास मैच के समय को भी कम कर दिया जिसकी सुनील गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी ने भी आलोचना की। भारत के लिए हालांकि सबसे बड़ी समस्या टीम के चयन में कुछ खामियां रहीं। ट्रेंटब्रिज टेस्ट में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने एक शतक भी जड़ा लेकिन इससे पहले उन्हें काउंटी क्रिकेट में खराब फार्म में कारण पहले टेस्ट से बाहर कर दिया गया। इस बल्लेबाज ने सीरीज में 278 रन बनाए।
सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम के तीखे सवालों पर झल्लाए विराट कोहली
तेज गेंदबाजों को स्पिनरों का सही साथ नहीं मिला : इशांत शर्मा 18 विकेट के साथ भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे जबकि जसप्रीत बुमराह ने 16 और मोहम्मद शमी ने 14 विकेट चटकाए। रविचंद्रन अश्विन साउथम्पटन में अपने लिए सबसे अनुकूल पिच पर भी कोई कारनामा नहीं कर पाए जो पिच संभवत: रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी के लिए आदर्श होती। जडेजा निचले क्रम में बाकी बल्लेबाजों से बेहतर भी साबित होते। उन्हें सीरीज के पांचों मुकाबलों में भारतीय टीम का हिस्सा होना चाहिए था।
विराट को पिच को पढ़ने की काबिलियत में सुधार की गुंजाइशः कोहली दुर्भाग्यशाली रहे कि उन्होंने पांचों टेस्ट में टास गंवाए लेकिन पिच को पढ़ने की उनकी क्षमता और टीम संयोजन को लेकर काफी सुधार की गुंजाइश है। एजबस्टन में दूसरा स्पिनर नहीं चुनना गलती थी जबकि पिच से टर्न और उछाल मिल रहा था। परेशानी उस समय बढ़ गई जब लार्ड्स में दो स्पिनरों के साथ उतरा गया जबकि हालात तेज गेंदबाजी के अनुकूल थे। भारत संभवत: तेज गेंदबाजों के अपने सर्वश्रेष्ठ समूह के साथ उतरा जिन्होंने हालात का फायदा उठाया लेकिन वे कई मौकों पर इंग्लैंड के निचले क्रम को समेटने में नाकाम रहे जिसने जज्बा दिखाया।