नई दिल्ली : इसे भारतीय हॉकी का दुर्भाग्य कहूं या कुछ और क्रिकेट वर्ल्ड कप 1983 की जीत तो सबको याद है किंतु 1975 में भारत ने पाकिस्तान को हरा कर अपना पहला और एकमात्र वर्ल्ड कप हॉकी खिताब जीता था। जिसे पूरी तरह भुला दिया गया है। भारतीय हॉकी टीम के महानतम खिलाड़ियों में शामिल अशोक ध्यानचन्द ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया भी उस महान जीत को भूल गया है। क्वालालंपुर, मलेशिया मे 15 मार्च को खेले गये फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से परास्त किया था।
अशोक की जादुई स्टिक से एक गोल निकला था। एक से पंद्रह मार्च तक चले टूर्नामेंट मे अशोक ध्यानचन्द की हॉकी का जादू पिता मेजर ध्यानचन्द की तरह चला था। चैम्पियन टीम में कप्तान अजितपाल सिंह, सुरजीत सिंह, असलम शेर ख़ान, गोविंदा, फिलिप, हरचरण, वीरेंद्र सिंह जैसे चमकदार नाम शामिल थे। टीम के मैनेजर बलबीर सिंह सीनियर और कोच जीएस बेदी थे। अशोक को इस बात का अफ़सोस है कि देश के मीडिया और हॉकी इंडिया को उस जीत की कतई जानकारी नहीं है।
हां यदि क्रिकेट की बात होती तो जमकर किस्से कहानियां सुनाई जाती और खिलाड़ियों के अनुभव जरूर बांटे जाते। अशोक इस बेरूखी को भारतीय हॉकी के दुर्भाग्य के साथ जोड़ते हैं। उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि एक तरफ तो हॉकी को बढ़ावा देने की बातें की जा रही हैं। खिलाड़ियों और टीमों को लाखों-करोड़ों दिए जा रहे हैं पर पुराने और असली चैम्पियनों को पूरी तरह भुला दिया गया है।
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(राजेंद्र सजवान)