दस साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने एशिया कप जीत कर भविष्य की उम्मीद जगाई है। अन्य आयोजनों मे भी खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन घरेलू आयोजनों को लगातार बाधा और उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है जोकिशुभ संकेत कदापि नहीं है। हॉकी आयोजकों की परेशानी यह है कि उनके टूर्नामेंट शिवाजी स्टेडियम की बजाय नेशनल स्टेडियम के बाहर अभ्यास मैदान पर हो रहे हैं जहां हॉकी प्रेमी कम ही पहुँच पाते हैं । दिल्ली मे नेहरू हॉकी सोसाइटी द्वारा चार बड़े राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं।
महाराजा रंजीत सिंह टूर्नामेंट और शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट तीन-चार दशकों से शिवाजी स्टेडियम पर आयोजित किए जाते हैं लेकिन अब इन आयोजनों पर तलवार लटक गई है । आयोजकों के अनुसार नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और हॉकी इंडिया के बीच नाक की लड़ाई के चलते विवाद खड़ा हो गया है। इस लड़ाई के चलते शिवाजी स्टेडियम मे सभी हॉकी गति विधियां ठप्प पड़ी हैं । शिवाजी स्टेडियम एनडीएमसी का निजी स्टेडियम है जिसे वर्षों से किराए पर दिया जाता रहा है। यह स्टेडियम 1982 के दिल्ली एशियाड मे नये सिरे से बनाया गया था। 2010 के कामनवेल्थ खेलों के लिए स्टेडियम का नवीनीकरण किया गया।
इसके साथ ही आयोजकों और पालिकापरिषद के बीच संबंध बनते बिगड़ते रहे। लेकिन ताज़ा विवाद एनडीएमसी और हॉकी इंडिया के संबंध बिगड़ने के कारण खड़ा हुआ है और तमाम टूर्नामेंट शिवाजी स्टेडियम से ध्यानचन्द नेशनल स्टेडियम मे शिफ्ट हो गये है एनडीएमसी को आयोजन से कोई परेशानी नहीं। उसने किसी को नहीं रोका। लेकिन हॉकी इंडिया एनडीएमसी से खफा है। दोनो इकाइयों के बीच हॉकी इंडिया लीग के कारण विवाद हुआ था जिसकी सज़ा हॉकी आयोजकों को भुगतनी पड़ रही है। हॉकी इंडिया के एक अधिकारी के अनुसार शिवाजी स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय हॉकी के नियमों के अनुरूप नहीं है ण् इसलिए तमाम आयोजकों को नेशनल स्टेडियम की शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आयोजक बुरे फंस गये हैं । हॉकी इंडिया के फरमान को मानना उनकी मजबूरी है ।