कोलकाता: रजनीश गुरबानी (68 रन पर सात विकेट) के करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी की बदौलत विदर्भ ने जीत की दावेदार मानी जा रही कर्नाटक को रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल के आखिरी दिन गुरूवार को पांच रन से हराकर इतिहास रच दिया। पांच दिनों तक चले विदर्भ और अनुभवी कर्नाटक के बीच रोमांचक मुकाबले में गैर अनुभवी टीम की जीत हुई। विदर्भ पहली बार रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंचा है और अब उसके सामने इंदौर में 20 दिसंबर से दो जनवरी तक चलने वाले खिताबी मुकाबले में दिल्ली की चुनौती होगी जिसने बंगाल को तीन दिन में ही पारी और 26 रन से शिकस्त देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया था।
198 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही कर्नाटक को मैच के पांचवें और अंतिम दिन विदर्भ ने 59.1 ओवर में 192 रन पर ढेर कर पांच रन से रोमांचक जीत दर्ज की। विदर्भ को कल ही जीत की सुगंध मिल गयी थी और कर्नाटक के मात्र तीन विकेट ही शेष थे। लेकिन अंतिम दिन कर्नाटक के कप्तान आर विनय कुमार ने 48 गेंदों में पांच चौके और एक छक्का लगाकर 36 रन तथा अभिमन्यु मिथुन ने 33 रन की पारी खेल मैच को पलट दिया वहीं बाद में श्रेयस गोपाल ने नाबाद 24 रन की पारी खेली और मैच लगभग कर्नाटक की पहुंच में आ गया।
लेकिन गुरबानी ने फिर कमाल की गेंदबाजी से विदर्भ को पहली बार फाइनल का टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाते हुये विनय, मिथुन और अरविंद के एक के बाद एक विकेट निकाले और कर्नाटक को जीत से मात्र पांच रन पहले 192 पर ढेर करते हुये अपनी टीम के लिये इतिहास रच दिया। अपूर्व वानखेड़े ने कर्नाटक के आखिरी बल्लेबाज अरविंद का कैच जैसे ही लपका विदर्भ की पूरी टीम पहली बार फाइनल में पहुंचने के जश्न में डूब गयी। कर्नाटक ने 41 बार की चैंपियन मुंबई के खिलाफ पारी और 20 रन से शानदार जीत दर्ज कर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी जबकि वह 14 बार फाइनल में पहुंच चुकी है।
उसने अपना आखिरी फाइनल वर्ष 2014-15 सत्र में खेला था और विजेता भी रही थी। लेकिन इस बार गैर अनुभवी टीम विदर्भ उस पर भारी पड़ गयी। कर्नाटक कुल आठ बार रणजी ट्रॉफी खिताब अपने नाम कर चुकी है। इससे पहले सुबह कर्नाटक ने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत कल के 111 रन पर सात विकेट से आगे की थी। उस समय विनय (19) और गोपाल (एक) क्रीज पर थे और लगभग मैच कर्नाटक की पहुंच से बाहर माना जा रहा था। कर्नाटक को जीत के लिये जहां 87 रन की जरूरत थी तो वहीं विदर्भ को तीन विकेट की।
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