अपनी कम तैयारी और अफ्रीकी पिच पर खिलाड़यिं की लगातार गलतियों के कारण सीरीज गंवाने के बाद दुनिया की नंबर एक भारतीय टेस्ट टीम बुधवार से शुरू होने जा रहे आखिरी टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विजयी रहकर सम्मान बचाने उतरेगी। भारत ने कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में घरेलू मैदान पर जबरदस्त प्रदर्शन किया और लगातार नौ टेस्ट सीरीज जीतने के आस्ट्रेलियाई टीम के विश्व रिकार्ड की बराबरी भी की लेकिन दक्षिण अफ्रीका के चुनौतीपूर्ण दौरे में वह अपवाद साबित नहीं हो सकी। भारत तीन टेस्टों की सीरीज को 0-2 से गंवा चुका है और आखिरी मैच उसे अपनी गलती सुधारने का मौका दे सकता है। सीरीज के पिछले दो मैचों में खिलाड़यिं, खासकर बल्लेबाजों ने रन आउट होने से लेकर कैच टपकाने जैसी कई गलतियां कीं तो कप्तान विराट का मैदान पर आक्रामक रूप फिर से बाहर निकल आया और उन्हें आईसीसी के नियमानुसार पहली बार डी-मेरिट अंक और जुर्माना तक भुगतना पड़ है। ऐसे में टीम इंडिया भी हर हाल में वंडरर्स में जीत के साथ अपना सम्मान बचाना चाहेगी।
दक्षिण अफ्रीकी टीम भले ही 3-0 से क्लीन स्वीप का सपना देख रही हो लेकिन इस मैदान पर उसका पिछला रिकार्ड काफी खराब रहा है जबकि मेहमान टीम ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी एकमात्र सफलता वंडरर्स में ही 2006 में देखी थी जब उसने 123 रन से मैच जीता। इसके अलावा एक ड्रा मैच भी उसने इसी मैदान पर दिसंबर 2013 में यहां खेला है। वंडरर्स की पिच को भी तेज गेंदबाजों के लिये अहम माना जाता है और पिछले मैचों में सफल रहे मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और उमेश यादव के रूप में उसके पास अच्छे तेत्र गेंदबाज हैं। भुवनेश्वर को सेंचुरियन में बाहर बैठाया गया था लेकिन वंडरर्स में माना जा रहा है कि वह वापसी को तैयार हैं। भुवी ने एक ही मैच में छह विकेट लिये हैं। वहीं टीम के अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने भी अफ्रीका की उछाल भरी पिचों पर कमाल दिखाया है और दो मैचों में 30.71 के औसत से सात विकेट निकाले हैं। बुमराह के खाते में भी इतने ही विकेट हैं जबकि शमी तेज गेंदबाजों में सबसे सफल हैं जिन्होंने 20.22 के औसत से नौ विकेट हासिल किये हैं।
यदि टीम पांच गेंदबाजों के साथ उतरने पर विचार करती है तो ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को बेंच पर बैठाया जा सकता है। हालांकि अश्विन निचले क्रम पर अच्छे बल्लेबाज साबित होते हैं और पिछले दो मैचों में उन्होंने 90 रन का योगदान भी दिया है। भारतीय तेज गेंदबाजों ने जहां अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है तो बल्लेबात्रों ने सबसे अधिक निराश किया है। टीम के टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा की 26 रन और मुरली विजय की 46 रन की दो सर्वश्रेष्ठ पारियां रही हैं। वहीं पुजारा का दोनों मैचों में रनआउट होना भी चिंता का विषय रहा है। टीम के कोच रवि शास्त्री ने मैच से पूर्व कहा है कि बल्लेबाजों को रनआउट नहीं होने पर ध्यान देने और फीलि्डंग सुधारने पर जोर देने के लिये कहा गया है वहीं उन्होंने सीरीज से पूर्व तैयारी की कमी को भी हार की वजह बताया। टीम के पास विराट, रोहित शर्मा, मुरली विजय, शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा, लोकेश राहुल जैसे कमाल के बल्लेबाज हैं तो निचले क्रम में ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या, अश्विन और भुवनेश्वर भी अच्छे स्कोरर हैं। लेकिन उसकी बल्लेबाजी ही सबसे कमजोर साबित हुई है। टीम की विराट पर निर्भरता साफ दिखाई दे रही है। पिछले मैच की पहली पारी में विराट ने 153 रन बनाये थे। हालांकि दूसरी पारी में वह पांच रन ही बना सके और बाकी बल्लेबाजों ने उनका कोई साथ नहीं दिया।
विराट (191) और पांड्या(115) के अलावा बाकी किसी खिलाड़ ने दो मैचों की चार पारियों में कुल 100 रन का आंकड़ भी नहीं छुआ है जो फिलहाल बल्लेबाजी क्रम की सबसे बड़ चिंता है। मुरली पिछले दोनों मैचों में एक अर्धशतक भी नहीं बना सके हैं तो लोकेश ने एक मैच में 10 और 04 रन की पारियां खेलीं। पुजारा ने अब तक 26, 04, 00 और 09 रन की बेहद निराशाजनक पारियां खेली हैं। मध्यक्रम में रोहित भी अपनी घरेलू फार्म को विदेशी जमीन पर कायम नहीं रख सके हैं। उन्होंने अब तक 19.50 के औसत से 78 रन बनाये हैं जिसमें 47 रन उनकी बड़ पारी है। ऐसे में बल्लेबाजी क्रम को मजबूत करने के लिये अब बेंच पर बैठे अजिंक्या रहाणे को एकादश में शामिल किये जाने के संकेत हैं। हालांकि रहाणे का श्रीलंका के खिलाफ आखिरी टेस्ट सीरीज में प्रदर्शन खराब रहा था और उन्होंने कोलकाता, नागपुर तथा दिल्ली टेस्ट में एक पारी में 20 रन तक नहीं बनाये।
कप्तान विराट को हालांकि रहाणे को बाहर बैठाने पर कई सवालें का सामना करना पड़ है ऐसे में यदि वह अंतिम एकादश का हिस्सा बने तो रहाणे के लिये भी अच्छा प्रदर्शन खुद को साबित करने के लिहाज से अहम होगा। लेकिन इस मैच में उनके अलावा विकेटकीपर बल्लेबात्र दिनेश कार्तिक के प्रदर्शन पर भी निगाहें होंगी। विकेटकीपर रिद्धिमान साहा चोटिल होने के कारण बाहर हैं जिनकी जगह तीसरे टेस्ट में कार्तिक को शामिल किया गया है। कार्तिक ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पदार्पण वर्ष 2004 में किया था और अपना आखिरी टेस्ट उन्होंने लगभग 8 साल पहले खेला था। दक्षिण अफ्रीकी टीम में वेर्नोन फिलेंडर, कैगिसो रबादा, पदार्पण मैच में ही कमाल दिखाने वाले लुंगी एनगिदी और मोर्न मोर्कल एक बार उसके लिये जीत की राह बनाने उतरेंगे। फिलेंडर दो मैचों में 10 विकेट लेकर सबसे सफल हैं जबकि टीम में संभवत: इस बार केशव महाराज को बाहर बैठाया जा सकता है और एक अतिरिक्त बल्लेबाज को मौका दिया जा सकता है। टीम में ए बी डीविलियर्स, डीन एल्गर, कप्तान फाफ डू प्लेसिस और कि्वंटन डी काक की फिर अहम भूमिका होगी। डीविलियर्स दो मैचों में 200 रन के साथ सबसे सफल बल्लेबात्र रहे हैं वहीं प्लेसिस और एडेन मार्कम तीसरे सबसे सफल स्कोरर हैं।
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