भारत के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का करियर किसी हिंदी फिल्म से कम रोमांचक नहीं है। जब उनके साथ के खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए 2003 विश्व कप खेल रहे थे, तब धोनी खड़गपुर स्टेशन पर टीसी का काम किया करते थे।
लेकिन किस्मत ने ऐसी पलटी खाई कि ना केवल उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने का मौका मिला, बल्कि साल 2007 में कई सीनियर खिलाड़ियों को होते हुए भी धोनी को टीम इंडिया का नया कप्तान बना दिया गया। धोनी एक मात्र ऐसे कप्तान रहे हैं, जिनके नेतृत्व में टीम ने आईसीसी के तीनों प्रमुख टूर्नामेंट की ट्रॉफी हासिल की है।
वैसे धौनी को टीम का कप्तान अचानक ही क्यों बना दिया गया इसके बारे में उन्होंने खुद खुलासा किया। धौनी ने कहा कि चयनकर्ता हर चीज देख रहे थे। खेल के प्रति मेरी ईमानदारी साथ ही गेम को परखने का मेरा नजरिया उन्हें पसंद आया।
उस वक्त टीम में मैं कुछ युवा खिलाड़ियों में से एक था और जब भी मुझसे पूछा जाता था तो मैं खेल को लेकर अपने विचार को बताने से ना तो हिचकता था ना ही डरता था। इसके अलावा धौनी का टीम के खिलाड़ियों के साथ बर्ताव भी उनके कप्तान बनने में बड़ी भूमिका निभाई।
यानी साफ है कि धौनी ना सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर शानदार थे बल्कि टीम के हर खिलाड़ी के साथ उनके संबंध भी मधुर थे और इन्हीं सब वजहों से वो भारतीय टीम का कप्तान बने।
धोनी ने कुल 199 वनडे मैचों कप्तानी की, जिसमें टीम इंडिया ने 110 मैच जीते। धोनी की कप्तानी में घरेलू वनडे मैचों में कुल 73 में से 43 मैचों जीत हासिल की। वनडे में बैटिंग स्ट्राइक रेट व औसत की बात की जाए तो एबी डिविलियर्स के बाद धोनी दुनिया के दूसरे सफलतम कप्तान हैं। 199 मैचों की कप्तानी करते हुए धोनी ने कुल 6633 रन, जबकि डिविलियर्स ने 87 मैचों की कप्तानी में 4217 रन बनाए।