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तीन तलाक
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून 2019 के तहत अपराध के आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है।
खंडवा में रहने वाले गुलनाज सिद्दीकी का है, जिसका आठ वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी अजहर के साथ निकाह हुआ था।
पीड़ित महिला से कहा गया कि यदि उसे दोबारा पति से निकाह करना है तो मायके से पांच लाख रुपये लाने के साथ ही देवर के साथ हलाला भी करना होगा।
राजधानी की निवासी महिला की शादी लगभग 19 साल पहले फैज आलम अंसारी से हुई थी। फैज वर्तमान में बेंगलुरु के एक होटल में मैनेजर हैं, उसने 12 जून को फोन पर तलाक दे दिया और घर से निकाल दिया। दोनों के दो बेटे हैं जो पति के पास ही है। महिला ने पुलिस में शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराई है।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि एक अगस्त वह दिन है जब मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की सामाजिक बुराई से मुक्ति मिली और इसे देश के इतिहास में ‘मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस’ के तौर पर दर्ज किया गया।