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देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण ने शनिवार को यहां कहा कि अधिकतर लोगों में यह गलत धारणा है कि न्यायाधीशों की जिंदगी बड़े ही आराम की होती है, जबकि वे अपने फैसलों के बारे में रात भर सोचते रहते हैं।
जब से भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत हुई है तभी से सार्वजनिक कम्पनियों की शेयर पूंजी बेचने का क्रम चल रहा है और आज हालत यह है कि अधिसंख्य सरकारी कम्पनियों का या तो निजीकरण हो चुका है अथवा उनमें निजी भागीदारी बड़े पैमाने पर हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा का अनुबंध अत्यधिक भरोसे पर आधारित होता है और जो जीवन बीमा लेना चाहते हैं, उनका यह दायित्व है कि वह बीमा लेते समय सभी तथ्यों का खुलासा करें।