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दिल्ली में मंगलवार को अफगानिस्तान पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्यकारी समूह की पहली बैठक में भारत ने चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने का ऐलान किया। इस बैठक में युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के हालात पर गहन चर्चा हुई।
यह कदम राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएफसी) के इस अनुमान के बीच आया है कि मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान पिछले सात वर्षों के औसत से अधिक था।
गेहूं के बाद देश में चावल संकट खड़ा होता जा रहा है। गेहूं के साथ-साथ चावल की कीमतों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। चावल की कीमतों में एक साल में 8 फीसदी की बढ़ौतरी हो चुकी है।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत गेंहू के बाद चावल के भी एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकता है. भारत द्वारा चावल के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की डर के चलते बांग्लादेश ने चावल आयात करने का निर्णय लिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने बयान दिया है कि, भारत से गेहूं के निर्यात पर पाबंदी में जो अपवाद हैं, उनके चलते 2022-23 में निर्यात 70 लाख टन रहने का अनुमान है।