जम्मू कश्मीर की गठबंधन सरकार से भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद, कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने आज कहा कि इसकी पृष्ठभूमि में बिहार में जद (यू) की अगुवाई वाली सरकार से भाजपा के समर्थन वापसी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी गोहिल ने गरीब उत्तरी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा न देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की।
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नीति आयोग के हाल की बैठक में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का मुद्दा उठाया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले रविवार को नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा ‘ अपमानित ’ किये जाने के बाद भी नीतीश कुमार ने भाजपा की अगुवाई में राजग में बने रहने का निर्णय लिया है।
बता दें कि हाल ही में नीति आयोग की बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की मांग का समर्थन किया था और बिहार के लिए भी विशेष राज्य का दर्जा मांगा था। पिछले रविवार (17 जून) को नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक हुई थी जिसमें नीतीश कुमार की मांग ठुकरा दी गई थी।
साल 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में राजद और जेडीयू के महागठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन पिछले साल 2017 के जुलाई में नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़कर और बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बनाई थी। तब राजनीतिक जगत में नीतीश कुमार की आलोचना हुई थी। राजद ने नीतीश कुमार को पलटूराम कहा था।
अब जेडीयू-बीजेपी सरकार के एक साल पूरे होने से पहले ही दोनों दलों के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ने लगी है। नीतीश कुमार ने खुद और उनकी पार्टी ने कई मौकों पर इसके संकेत भी दिए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर भी दोनों दलों के बीच खींचतान जारी है। जेडीयू राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 25 पर अपना उम्मीदवार चाहती है और शेष 15 सीटें एनडीए के तीनों घटक दलों- बीजेपी, एलजेपी, आरएलएसपी को देना चाहती है।
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