लगभग 2 लाख लोगों की जीवनलीला हर साल पीने योग्य पानी ना मिल पाने के कारण समाप्त हो जाती है। देश में जल संकट को लेकर एक ऐसी बात सामने आई है, जिसे जानकर न सिर्फ हैरान होगी, बल्कि जल संकट को लेकर सतर्क भी हो जाएंगे। नीति आयोग के जल प्रबंधन इंडेक्स के मुताबिक, देश के इतिहास के सबसे बड़े पानी संकट से जूझ रहा है। जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग का जल प्रबंधन इंडेक्स जारी किया है, जिसके बाद यह बात सामने आई है।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारत में पानी की मांग, आर्पूति के मुकाबले दोगनी हो जाएगी। गुजरात में चल रहे जल संकट के बावजूद, राज्य ने जल संकट से निपटने की 15 राज्यों की सूची में प्रथम स्थान पर रहा है। वहीं झारखंड इस सूची में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है। मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सूची में गुजरात से पीछे हैं, परन्तु इन राज्यों ने उम्मीद के मुताबिक बेहतर प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, “वृद्धि में बदलाव (2015-16 स्तर से अधिक) के मामले में राजस्थान सामान्य राज्यों में नंबर एक स्थान पर है और त्रिपुरा उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों में पहले स्थान पर है।”
जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जल संकट से निपटने के मामले में खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य साबित हुए हैं।
बता दें नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि थिंक टैंक ने नौ व्यापक क्षेत्रों में सभी राज्यों को स्थान दिया है जिसमें 28 विभिन्न संकेतक हैं, जिनमें भू-जल के विभिन्न पहलुओं, जल निकायों की बहाली, सिंचाई, कृषि प्रथाओं, पेयजल, नीति और शासन शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट से पीड़ित है और लाखों लोगों की आजीविका खतरे में हैं। “वर्तमान में 600 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक पानी के तनाव का सामना करना पड़ रहा है और सुरक्षित पानी की अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग दो लाख लोग मर जाते हैं।”
पोर्ट के अनुसार, भारत के कृषि क्षेत्र का 52% कृषि क्षेत्र बारिश पर निर्भर है, इसलिए सिंचाई के अच्छे भविष्य के लिए जल संकट पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
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