राजस्थान के अलवर में गौ तस्करी के आरोप में लोगों ने एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी है। यह घटना रामगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लालवंडी गाव की है। मृतक शख्स का नाम अकबर खान है जो हरियाणा के कोलगांव का रहने वाला है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया है। मृतक दो गाय लेकर जा रहा था तभी उसपर हमला किया गया।
राजस्थान के अलवर में गौ तस्करी के आरोप में एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव की है। मृतक का नाम अकबर खान है और वह हरियाणा के कोलगांव का रहने वाला है। जानकारी के मुताबिक मृतक दो गाय को लेकर जा रहा था। पुलिस ने शव को शवगृह में रखवा दिया है। आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से पीट-पीटकर हत्या करने के कई मामले सामने आए हैं। भीड़ द्धारा हत्या किए जाने के मामले पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला भी सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोई भी अपने हाथ में कानून नहीं ले सकता है। देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
Rajasthan: Man named Akbar allegedly beaten to death by mob in Alwar’s Ramgarh last night on suspicion of cow smuggling, police investigation underway
— ANI (@ANI) July 21, 2018
वहीं इसपर लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया था। शुक्रवार को लोकसभा में मॉब लिचिंग की घटना पर बयान देते हुए राजनाथ ने कहा था कि देश में मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई थी। इससे पहले उन्होंने कहा कि लिंचिंग की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। इन घटनाओं पर कार्रवाई करने का काम राज्य सरकारों का है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि देश में कई जगह लिंचिंग की घटनाएं होती रही हैं। जिसमें कई लोगों की जानें गई हैं। इस दौरान मारे वाले लोगों संख्या किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय है।
SC ने राज्य सरकारों को चार हफ्ते में गाइडलाइंस लागू करने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वो संविधान के मुताबिक काम करें। साथ ही राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइडलाइंस को चार हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि सरकारें हिंसा की इजाजत नहीं दे सकती हैं। लिहाजा इसको रोकने के लिए विधायिका कानून बनाए। बता दें कि गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी।