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आरुषि हत्याकांड : तलवार दंप‌ति को झटका, SC ने स्वीकारी CBI की या‌चिका

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वर्ष 2008 के बहुचर्चित आरुषि तलवार – हेमराज हत्याकांड में डॉक्टर दंपति राजेश तथा नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले खिलाफ CBI की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की अपील पर तलवार दंपत्ति के घरेलू सहायक हेमराज की पत्नी की अपील के साथ सुनवाई होगी। कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में रिहा कर दिए गए तलवार दंपति और उत्तर प्रदेश सरकार को झटका दे दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने सीबीआई की अपील पर तलवार दंपति और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका को सुनवाई के लिए मंज़ूर करते हुए इसे हेमराज की पत्नी की याचिका के साथ टैग कर दिया है। अब दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होगी। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले से तलवार दंपति की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

बता दें कि नोएडा के डॉक्टर दंपती, राजेश और नूपुर, को उनकी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या से जुड़े केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने 12 अक्टूबर, 2016 को बरी कर दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला सीबीआई की ओर से ऐसा कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किए जाने के बाद सुनाया था जिससे ये साबित होता हो कि आरुषि और हेमराज की हत्याएं तलवार दंपती ने की थी। हाईकोर्ट ने साथ ही सीबीआई जांच की खामियों की ओर भी इंगित किया था।

स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रोसीजर के तहत एजेंसी को निचली अदालत के आदेश की प्रति मिलने के बाद 90 दिन के अंदर ऊपरी अदालत में अपील दाखिल करनी होती है।

सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों को अभी ये तय करना बाकी है कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की जाए या नहीं। सूत्रों ने बताया कि कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करनी चाहिए। लेकिन इसके लिए बस अब एक ही विकल्प बचा है कि सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ‘देरी के लिए क्षमायाचना’ के तहत अपील दाखिल की जाए।

नवंबर 2013 में गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने तलवार दंपती को उम्र कैद सुनाई थी। उन्हें आरुषि और हेमराज की हत्याओं के अलावा सबूत नष्ट करने का भी दोषी ठहराया गया था। राजेश तलवार को पुलिस के समक्ष झूठे बयान देने का भी दोषी माना गया था. इस फैसले को तलवार दंपती ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार में तलवार दंपती के घर पर आरुषि का शव उसके बेडरूम में पाया गया था. पुलिस को पहले घर के नौकर हेमराज पर आरुषि की हत्या का शक हुआ. लेकिन एक दिन बाद घर की छत से ही हेमराज का शव भी पुलिस को मिला. नोएडा पुलिस ने वारदात के बाद दिए बयान में तलवार दंपती पर शक जताते हुए कहा था कि आरुषि और हेमराज को ‘आपत्तिजनक अवस्था’ में देखने के बाद राजेश ने दोनों की हत्या कर दी.

बाद में ये केस नोएडा पुलिस से लेकर सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. नोएडा पुलिस की इस बात के लिए भी आलोचना हुई थी कि उसने जांच को सही ढंग से अंजाम नहीं दिया था जिसकी वजह से अहम फॉरेन्सिक सबूतों को नहीं जुटाया जा सका था.

सीबीआई ने अपनी जांच के बाद इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. सीबीआई का कहना था कि तलवार दंपती को हत्याओं के लिए दोषी साबित करने लायक सबूतों का अभाव है. हालांकि गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने एजेंसी के इस तर्क को खारिज कर दिया था. इस अदालत ने तलवार दंपती को आरुषि और हेमराज की हत्या का दोषी मानते हुए दोनों को उम्र कैद सुनाई थी.

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