झारखंड के पूर्व सीएम और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाकर केंद्र की भाजपा सरकार ने एक साथ कई मकसद साधने की कोशिश की है। यह एक तरफ झारखंड की सक्रिय राजनीति से उनकी विदाई है, तो दूसरी तरफ लंबे समय तक पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और सेवा का इनाम भी है।
बाबूलाल मरांडी को झारखंड में पार्टी के लिए खुलकर बैटिंग करने का मिलेगा मौका
इस फैसले का सबसे बड़ा मकसद है- झारखंड भाजपा के नए मुखिया बाबूलाल मरांडी को झारखंड में पार्टी के लिए खुलकर बैटिंग करने के लिए मनोनुकूल पिच उपलब्ध कराना। 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा गठबंधन की सरकार पराजित होकर सत्ता से बाहर हो गई थी। इस पराजय के बाद भी रघुवर दास झारखंड भाजपा के लिए अहम फैक्टर बने हुए थे। इसकी वजह यह थी कि वह लंबे समय तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, कई टर्म मंत्री और फिर पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे। वह राज्य भाजपा में वैश्य और ओबीसी राजनीति का सशक्त चेहरा माने जाते रहे हैं।
संगठन में अहम जिम्मेदारी दी गई
सीएम की कुर्सी छिनने के बाद पार्टी ने उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी दी। उन्हें लगातार दो बार पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। लेकिन, भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व 2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद यह बात भी समझ चुका था कि पार्टी को अगर झारखंड की सत्ता में लौटना है तो आदिवासी चेहरे के हाथ में नेतृत्व की कमान सौंपनी होगी। दरअसल, रघुवर दास की अगुवाई वाली सरकार के सत्ता से बेदखल होने की सबसे प्रमुख वजह राज्य में आदिवासी सीटों पर पार्टी की पराजय थी। राज्य में 28 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं, जिनमें से 16 सीटों पर भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी थी। लिहाजा, भाजपा ने 2019 के चुनावी नतीजों के तुरंत बाद बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का विलय कराया और उन्हें पार्टी विधायक दल के नेता का अहम दायित्व सौंपा।
बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया
यह और बात है कि दलबदल से जुड़े कानून को ढाल बनाकर उन्हें विधानसभा के स्पीकर ने कभी इस रूप में मान्यता नहीं दी और न ही नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया। हाल में बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मरांडी के सामने सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती यह मानी गई कि वे पार्टी के दो कद्दावर नेताओं रघुवर दास और अर्जुन मुंडा के गुटों के साथ संतुलन कैसे साधेंगे। लिहाजा, अब पार्टी ने उनकी इस चुनौती को साधने की रणनीति के तहत रघुवर दास को झारखंड की राजनीति से दूर कर दिया है। रही बात अर्जुन मुंडा की, तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के अपने कामकाज पर फोकस करने को कहा गया है। यानी अर्जुन मुंडा दिल्ली में रहेंगे तो दूसरी तरफ रघुवर दास ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में।
रघुवर दास और अर्जुन मुंडा की तरफ से अब कोई चुनौती नहीं मलेगी
झारखंड की भाजपा अब बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में चलेगी। उन्हें पार्टी में आंतरिक मोर्चे पर रघुवर दास और अर्जुन मुंडा की तरफ से अब कोई चुनौती नहीं मलेगी। रघुवर दास को ओडिशा को राज्यपाल बनाए जाने के दो दिन पहले ही पार्टी ने अमर बाउरी को भाजपा विधायक दल का नया नेता बनाया। बाउरी को बाबूलाल मरांडी का करीबी माना जाता है। उनसे मरांडी को कोई चुनौती मिलने के आसार नहीं हैं।