मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के 10 साल के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े घटा दिए हैं। जिसकी वजह यूपीए सरकार के दौरान जीडीपी के आंकड़ों में एक से दो फीसदी से ज्यादा की कमी आ गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने आंकड़े जारी करने वाले नीति आयोग पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए।
आपको बता दे कि आर्थिक आँकड़ की गणना के लिए आधार वर्ष 2004-05 को बदलकर 201।12 करने के दौरान गणना पद्धति में बदलाव किया गया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बैक सीरीज में वर्तमान मूल्य पर वर्ष 2004-05 के जीडीपी में 0.56 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 201।12 के जीडीपी में 2.7 लाख करोड़ रुपये की कमी आयी है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने बुधवार को यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में जीडीपी बैक सीरीज जारी करते हुये कहा कि पुराने आधार वर्ष और वर्तमान के आधार वर्ष पर की गयी गणना को लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिये क्योंकि यह सिर्फ परीक्षणात्मक हैं।
राजीव कुमार ने कहा कि वर्ष 201।12 आधार किये जाने के दौरान आँकड़ की गणना की पद्धति में कुछ बदलाव किये गये जिसका प्राथमिक और दूसरे क्षेत्रों पर असर दिखा है। पुराने आधार वर्ष में दूरसंचार क्षेत्र के लिए ग्राहकों को आधार माना जाता था जबकि नये आधार वर्ष में उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किये गये मिनट को आधार माना गया है जिसके कारण इस क्षेत्र के आँकड़ में बदलाव आये हैं।
प्रवीण श्रीवास्तव द्वारा जारी जीडीपी बैक सीरीज आँकड़ के अनुसार, पुराने आधार पर वर्ष 2004-05 में देश का जीडीपी 32.4 लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 201।12 आधार वर्ष पर वर्तमान मूल्य पर 0.56 लाख करोड़ रुपये घटकर 31.9 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
इसी तरह से वर्ष 2004-05 में पुराने आधार वर्ष पर यह 90.1 लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 2़01।12 आधार वर्ष पर 2.7 लाख करोड़ रुपये घटकर 87.4 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
इसी तरह से पुराने आधार वर्ष पर वर्ष 2004-05 में जीडीपी वृद्धि दर 9.3 प्रतिशत थी जो नये आधार वर्ष पर गणना में घटकर 7.9 प्रतिशत पर आ गयी है। वर्ष 201।12 में पुराने आधार पर जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत थी जो नये आधार वर्ष पर गणना में घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ गयी है।