केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण दिया है। वही केंद्र के इस फैसले को विपक्ष ने राजनीति बताया है। सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण पर मुहर लगा दी है। जिसके अनुसार सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
कैबिनेट की मुहर लगने के बाद आज इसके लिए संविधान संशोधन बिल संसद में पेश किया जाएगा। वहीं बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने को कहा है। बीजेपी सरकार शिक्षा एवं नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू करने से जुड़ा विधेयक आज लोकसभा में पेश करेगी है।
इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में पारित होने के बाद इसे राज्यसभा को भेजा जाएगा। सवर्णों को आरक्षण के फैसले को सरकार गेमचेंजर मान रही है। सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में जहां पार्टी की हार हुई, उसमें सवर्णों की नाराजगी भी एक बड़ा कारण रही है।
दरअसल, चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/ST के बाबत दिए फैसले को बदलने के लिए सरकार ने कानून बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने एसटी/एसटी ऐक्ट के तहत अनिवार्य गिरफ्तारी को खत्म कर दिया था। लेकिन सरकार ने कानून बनाकर फिर से इसे अनिवार्य कर दिया। माना जा रहा है कि इस फैसले ने सवर्ण को नाराज कर दिया था।
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद सविधान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी। सरकार इस आरक्षण को लागू करने के लिए सविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन लेेकर आएगी। बता दें कि 2018 में SC/ST एक्ट को लेकर जिस तरह सरकार ने मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था, उससे सवर्ण खासा नाराज बताया जा रहा था। माना जा रहा था कि मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण काफी नाराज हो गए हैं, दलितों के बंद के बाद सवर्णों ने भी भारत बंद का आह्वान किया था।