गुजरात के गिर वन में लगभग 20 दिनों में 23 शेरों की मौत से मची अफरातफरी के बीच खतरनाक कैनाइन डिस्टेंपर विषाणु (सीडीवी) से बचाव के लिए अमेरिका के फ्लोरिडा से मंगाया गया विशेष टीका आज गुजरात पहुंच गया।
दूसरी ओर राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, अमरेली के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धानाणी ने यह बयान देकर राजनीतिक हलकों में सरगर्मी मचा दी कि इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन शेरों की इसलिए जानबूझ कर हत्या कर दी गयी हो ताकि पड़सी राज्य मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में लाभ के लिए गिर के एशियाई शेरों को आसानी से वहां के एक वन में स्थानांतरित किया जा सके।
राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बयान की कड़ी निंदा की है। पार्टी के प्रदेश मीडिया समन्वयक हर्षद पटेल ने कहा कि कांग्रेस को बार बार के हार के कारण चुनावी फोबिया (चुनाव से डर) हो गया है। इसीलिए नेता विपक्ष जैसे पद पर बैठा व्यक्ति ऐसी वाहियात, बेहूदा और अपरिपक्व बयानबाजी कर रहा है।
S-400 सौदे पर US ने तेवर बदले, कहा- बैन का मकसद सहयोगियों को नुकसान करना नहीं
शेरों की मौत से मध्य प्रदेश चुनाव का क्या लेना देना। बाद में राज्य के वनमंत्री गणपत वसावा ने गांधीनगर में पत्रकारों से कहा कि स्वयं अमेरली के विधायक होते हुए श्री धानाणी प्रभावित क्षेत्र में एक बार भी नहीं गये और अब राजनीति प्रेरित गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। एक ही परिवार के 23 शेरों की मौत के बाद पिछले पांच दिन में एक भी शेर की मौत नहीं हुई और स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है। केवल उसी परिवार के तीन शेर इलाजरत हैं।
ज्ञातव्य है कि तलाला में आज श्री धानाणी ने कहा कि गिर वन के आसपास के लोग चर्चा कर रहे हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि गुजरात का गर्व कहे जाने वाले गिर के शेरों को जानबूझ कर गुजरात से बाहर भेजने के लिए इन शेरों की षडयंत्र के तहत संक्रमित अथवा जहरयुक्त भोजन देकर हत्या करा दी गयी हो। ताकि इन्हे आसानी से मध्य प्रदेश भेजा जा सके जिससे चुनावी लाभ (सत्तारूढ़ भाजपा को) हो सके।
गुजरात का गिर वन दुनिया में एशियाई शेरों का एकमात्र निवास है। कई विशेषज्ञ किसी प्राकृतिक आपदा अथवा संक्रमण आदि की स्थिति में इनके अस्तित्व पर खतरे की आशंका के चलते इनके लिए एक अन्य आश्रय भी तैयार करने के पक्षधर है। इनको पड़सी मध्य प्रदेश के कूनो वन में भेजने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है।
ज्ञातव्य है कि 23 शेरों की मौत 12 सितंबर से 02 अक्टूबर के बीच गिर वन के पूर्वी क्षेत्र के एक ही रेंज दलखानिया के तहत सरसिया वीडी में हुई है। इनमें से चार में कैनाइन डिस्टेंपर विषाणु पाये गये हैं जो वर्ष 1991 में तंजानिया के जंगलों में 1000 अफ्रीकी शेरों की मौत के लिए जिम्मेदार थे। ये संक्रमण के बाद जानवर के कई अंगों को प्रभावित करते हैं जिनसे मौत भी हो जाती है।
इस बीच एहतियाती तौर पर इस विषाणु के संक्रमण को रोकने वाले 300 टीकों की एक खेप आज अमेरिका के फ्लोरिडा से मुंबई और राजकोट के रास्ते जूनागढ़ के शक्करबाग चिड़यिघर में लायी गयी। चिड़यिघर के अधीक्षक एम के वाला ने यूएनआई को बताय कि प्योरवैक्स फेरेट डिस्टेंपर नाम का यह टीका लगभग नौ लाख रूपये की खर्च से खरीदा और यहां लाया गया है।
इसे संक्रमित जानवरों को नहीं दिया जाता। संक्रमण की आशंका वाले इलाके के आसपास के स्वस्थ शेरों को इसे कल से प्रधान मुख्य वन संरक्षक और पशु रोग विशेषज्ञों की सलाह पर दिया जायेगा। पूर्ण टीकाकरण के लिए तीन तीन सप्ताह के अंतर पर एक जानवर को तीन टीके लगाने होगे। इस तरह लाये गये टीके 100 जानवरों को ही लगाये जा सकते हैं। ज्ञातव्य है कि 2015 में हुई पिछली पांच वर्षीय सिंह गणना के अनुसार गिर वन तथा आसपास कुल 523 शेर थे।