श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले की धमकी के बीच कडी सुरक्षा में शहरी निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान आज (सोमवार) शुरू हो गया। वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हो गई है। वोटिंग को देखते हुए राज्य में सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। पहले चरण में कुल 11 जिलों में वोटिंग की जा रही है।सोमवार को जिन जिलों में वोटिंग हो रही है उनमें अनंतनाग (4 वार्ड), बडगाम (1 वार्ड), बांदीपोरा (16 वार्ड), बारामूला (15 वार्ड), जम्मू (153 वार्ड), करगिल (13 वार्ड), कुपवाड़ा (18 वार्ड), लेह (13 वार्ड), पुंछ (26 वार्ड), राजौरी (59 वार्ड), श्रीनगर (3 वार्ड) शामिल हैं।
निकाय चुनाव की वोटिंग के दौरान बांदीपोरा में एक पोलिंग बूथ पर पत्थरबाजी हुई। यहां प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके. इसमें BJP प्रत्याशी आदिल अहमद बहरू घायल हो गए हैं। वह बांदीपोरा के वार्ड 15 से चुनाव लड़ रहे हैं।
#JammuAndKashmir: People queue outside a polling booth in Rajouri to cast their votes in the first phase of urban local body elections pic.twitter.com/xU6wLZtxbL
— ANI (@ANI) 8 October 2018
लेकिन यहां अनेक लोगों को इस बारे में बहुत कम मालूम है और उनमें से अधिकतर ने अपने उम्मीदवारों को नहीं जानने तथा मतदान की तारीख पता नहीं होने की शिकायत की। श्रीनगर निवासी सुहैब अहमद ने बताया कि उनके वार्ड के लोग नहीं जानते हैं कि इस बार उनके उम्मीदवार कौन-कौन हैं। जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में पहले चरण में मतदान होगा। निजी कंपनी में नौकरी करने वाले अहमद ने कहा, ‘‘यहां किसी भी पूछिए कि क्या उन्हें पता है कि कौन-कौन उम्मीदवार हैं। हर व्यक्ति आपको बताएगा कि उसे कुछ नहीं मालूम। काफी गोपनीयता है।’’ अहमद ने आरोप लगाया कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, उसे उपयुक्त तरीके से चुनाव कराने में कोई रुचि नहीं है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की वर्तमान स्थिति उम्मीदवारों को खुलेआम प्रचार करने की इजाजत नहीं देती है, क्योंकि उनकी जान को खतरा है। अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है, आतंकवादियों ने इन चुनावों में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीदवारों को सुरक्षा दी गयी है और उनमें से ज्यादातर लोगों ने सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रखी है। स्थिति ऐसी है कि वे प्रचार नहीं कर सकते. केवल आतंकवादियों से ही नहीं, बल्कि भीड़ से भी खतरा है।’’ केवल श्रीनगर ही नहीं, घाटी के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी अपने वार्डों में चुनाव के बारे में अनजान होने की बात कही।
गंदेरबल के इशफाक अहमद ने कहा, ‘‘हमें पता नहीं है कि हमारे वार्ड से चुनाव कौन लड़ रहा है। अब तक कोई चुनाव प्रचार नहीं कर रहा है या घर-घर नहीं जा रहा है। सरकार ने भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों का ब्योरा नहीं डाला है। कहीं कोई विवरण नहीं है. केवल उम्मीदवार को ही पता है कि वह चुनाव लड़ रहा है।. शायद, उसके परिवार को भी पता नहीं है, इतनी गोपनीयता है।’’ उसने कहा कि ज्यादातर लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बस उम्मीदवार के रिश्तेदार एवं मित्र वोट डालेंगे। खालिद नाम के व्यक्ति ने कहा कि वह पहले मतदान को लेकर बहुत रोमांचित था लेकिन अब उसका मानना है कि स्थिति सुधरने तक चुनाव स्थगित कर दिया जाए।
गंदेरबल में 16 अक्टूबर को आखिरी चरण में मतदान है। उम्मीदवारों के बारे में गोपनीयता के अलावा, शहर के कुछ क्षेत्रों में लोगों को यह भी नहीं पता है कि वोट कब डालना है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में माहौल चुनाव के लायक नहीं है लेकिन पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय किया क्योंकि केंद्र ने लोगों पर चुनाव थोप दिया। इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता संदेह को जन्म देती है।
मीरवाइज उमर फारूक नजरबंद
चुनाव से पहले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को रविवार को नजरबंद कर दिया गया है. फारूक ने ट्वीट किया कि, ‘नजरबंद हूं. चुनाव की विचित्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया चल रही है. बड़ी संख्या में बल तैनात किए गए हैं. पीएसए लगाने, लोगों को कैद और नजरबंद करने, छापेमारी करने, पाबंदियां लगाने और इंटरनेट पर रोक लगाने की प्रक्रिया तेज हुई है।’