गुजरात के अहमदाबाद में रविवार देर शाम ओढवा इलाके में एक चार मंजिला इमारत अचानक धड़ाम से जमींदोज हो गई। मलबे से अबतक 1 शख्स के शव को निकाला जा चुका है। वहीं, 6 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। मौके पर मलबे को हटाने का काम अभी भी जारी है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि मलबे में कितने लोग और फंसे हैं।
गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा स्थानीय दमकल विभाग की टीमों को मलबे से लोगों को निकालने के लिए तैनात किया गया है। इमारत चार मंजिला थीं. उन्होंने कहा कि ये टीमें बचाव अभियान के लिए आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रही हैं।
#LatestVisuals from Ahmedabad’s Odhav area where a four-storey building collapsed last night. 3 people have been rescued, at least five still feared trapped under the debris. Rescue operation is underway. #Gujarat pic.twitter.com/g2ZEPE2Ka5
— ANI (@ANI) August 27, 2018
जडेजा ने कहा, ‘इमारत को अहमदाबाद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कल उस समय खाली कराया गया था जब उन्हें लगा कि इमारत कभी भी गिर सकती हैं. लेकिन कुछ निवासी आज वापस आए और वे इनके ढहने के वक्त इमारत के अंदर ही थे।’ जडेजा ने कहा कि मलबे में 8-10 लोगों के फंसे होने की आशंका है।
दो दशक पुरानी इमारत में दरार आने पर लोगों को पहले ही नोटिस दे दिया गया था। एक दिन पहले यानी शनिवार को ही इमारत खाली कराई गई थी। इसके बावजूद कुछ लोग इमारत में फिर से चले गए थे. मौके पर बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
दरअसल, 26 अगस्त की शाम ओढव की चार मंजिला इमारत भरभरा कर धराशाई हो गई। जिसके बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। देखते ही देखते महज चंद सेकंड में करीब 50 फीट ऊंची बिल्डिंग मलबे का ढेर बन गई। इमारत गिरने की खबर के तुरंत बाद राहत बचाव का काम शुरू हुआ। राहतकर्मियों के साथ-साथ जेसीबी मशीनें भी मौके पर मौजूद हैं। पहले कुछ घंटों में ही 2 से 3 घायल लोगों तो निकाला गया लेकिन उस वक्त और अफरातफरी मच गई जब ईंट सीमेंट और सरिया के अंबार से एक शव भी बाहर आया।
जीवन ज्योत सोसायटी के पास इमारत का मलबा हटाने की कोशिश रातभर चलती रही, जो अभी भी जारी है. रेस्क्यू ऑपरेशन में अहमदाबाद फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीम लगी हुई है। सवाल है कि महज 19 साल पुरानी इमारत कैसे ताश के पत्तों की तरह ढह सकती है. या तो बिल्डिंग के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ, सरकारी मानकों से खिलवाड़ या फिर प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही।