तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक और परोपकारी धमार्थ विभाग द्वारा संचालित 47 बड़े मंदिरों को उनके प्रसाद के लिए भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का प्रमाणपत्र मिलेगा।
इस कवायद का मकसद गुणवत्ता सुनिश्चित करना और मानकीकरण करना है। शुरूआत श्री पलानी मुरूगन मंदिर के पंचामृतम (केला , घी , शहद , चीनी और खजूर से बने प्रसाद) से की जा रही है।
एक अधिकारी ने बताया , ‘‘ पलानी मुरूगन मंदिर हमारी पायलट परियोजना है। हमने अन्य 46 मंदिरों में एफएसएसएआई प्रमाणन की प्रक्रिया शुरू की है। ’’
मुरूगन मंदिर के पंचामृतम प्रसादम पर अब एफएसएसएआई का लाइसेंस नंबर , कीमत , वजन और उपयोग की आखिरी तारीख दर्ज है।
इस पहल की वजह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पीटीआई – भाषा को बताया , ‘‘ गुणवत्ता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। कुछ निजी मंदिरों में प्रसाद खाकर भक्तों के बीमार होने की घटनाओं पर हमारा ध्यान गया और हमने लाइसेंस लेने का फैसला किया। ’’
इस साल अप्रैल में कोयंबटूर के निकट मेट्टूपलायम में एक निजी प्रबंधन वाले मंदिर में प्रसादम खाने के बाद दो महिलाओं की मौत हो गई थी और 30 लोग बीमार हो गए थे।