सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35-ए की वैधता पर चल रही सुनवाई अगले साल तक के लिए टल गई है। कोर्ट ने कानून-व्यवस्था के साथ ही जम्मू-कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव का हवाला देते हुए सुनवाई को अगले साल के लिए टाल दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट सुनवाई टालने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनाव के बाद सुनवाई करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। अब अगले साल 19 जनवरी को आर्टिकल 35-ए पर फिर से सुनवाई होगी। आर्टिकल 35-ए पर जम्मू-कश्मीर की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मामले पर अपना पक्ष रख रहे हैं।
Supreme Court has deferred hearing on Article 35A, next hearing on 19 January, 2019: Supreme Court Advocate Varun Kumar pic.twitter.com/OwSKA4JOJP
— ANI (@ANI) August 31, 2018
सुनवाई को देखते हुए कश्मीर में कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था। बता दें कि आर्टिकल 35-ए पर सुनवाई को लेकर घाटी का माहौल अशांत हो गया है। अफवाह उड़ने से कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। वहीं आर्टिकल 35ए की वैधता की चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ में अलगाववादियों ने 30-31 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में बंद का आह्वान किया था।
आर्टिकल 35-ए क्या है:
संविधान में जम्मू-कश्मीर को धारा-370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिला है। साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के आदेश के बाद वहां के स्थानीय लोगों को परिभाषित करने के लिए संविधान में धारा-370 में आर्टिकल 35-ए को जोड़ा गया। इसके तहत वहां पर कोई भी बाहरी संपत्ति नहीं खरीद सकता है। बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी नहीं कर सकते हैं। आर्टिकल 35-ए के अनुसार अगर राज्य की महिला किसी बाहरी शख्स (गैर कश्मीरी) से शादी करती है तो उसकी नागरिकता खत्म हो जाएगी।