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IAS अधिकारी शाह फैजल ने अनुशासनात्मक कार्रवाई पर किया सवाल खड़ा

आईएएस अधिकार शाह फैजल अपने ‘‘ रेपीस्तान ’’ ट्वीट को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। शाह ने कार्रवाई पर आज सवाल खड़ा करते हुए

आईएएस अधिकार शाह फैजल अपने ‘‘ रेपीस्तान ’’ ट्वीट को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। शाह ने कार्रवाई पर आज सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि क्या सरकारी कर्मचारियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे समाज के नैतिक सवालों से स्वयं को पूरी तरह से अलग रखें क्योंकि किसी भी चीज को आलोचना समझा जा सकता है।

2010 बैच के आईएएस अधिकारी फैजल वर्तमान में अवकाश लेकर अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश भारत में ‘‘ अंतरात्मा की स्वतंत्रता ’’ को दबाने के लिए ‘‘ औपनिवेशिक भावना ’’ वाला सेवा नियम लगाया जा रहा है। ‘‘

फैजल ने अपने खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर किये गए ट्वीट का जवाब देते हुए कहा , ‘‘ यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकारी कर्मचारियों से कहा जा सकता है कि वे समाज के नैतिक सवालों से अलग रहें और चुप रहें क्योंकि किसी भी चीज को सरकार की नीति की आलोचना के तौर पर देखा जा सकता है ?’’

इससे पहले फैजल के खिलाफ बलात्कार की घटना पर उनके एक ट्वीट को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी।

सामान्य प्रशासन विभाग ने फैजल को जारी एक नोटिस में कहा , ‘‘ इसमें लिखा गया है कि आप ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपनी आधिकारिक ड्यूटी निभाने में कथित रूप से विफल रहे हैं और आपका व्यवहार एक लोक सेवक लायक जैसा नहीं है। ’’

सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुरोध पर शुरू की गई है।

फैजल ने इससे पहले ट्वीट किया था , ‘‘ जनसंख्या + पितृसत्ता + निरक्षरता + शराब + अश्लीलता + प्रौद्योगिकी + अराजकता = रेपिस्तान। ’’ इस पोस्ट पर डीओपीटी का ध्यान गया था।

आईएएस अधिकारी ने यद्यपि अपने पोस्ट का यह कहते हुए बचाव किया कि उन्होंने सरकार की नीति की आलोचना नहीं की। उन्होंने ट्वीट किया , ‘‘ यदि बलात्कार सरकार की नीति का हिस्सा है तो मैं सरकार की नीति की आलोचना करने का दोष स्वीकार करता हूं। ’’

फैजल ने कहा , ‘‘ दक्षिण एशिया में बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ मेरे कटाक्ष भरे एक ट्वीट के लिए मेरे बॉस की ओर से लव लेटर आया है। यहां विडंबना यह है कि लोकतांत्रिक भारत में औपनिवेशिक भावना वाले सेवा नियमों का इस्तेमाल करते हुए मन की बात कहने की आज़ादी का गला घोंटा जा रहा है। मैं इसे नियम बदलाव की जरूरत को रेखांकित करने के लिए साझा कर रहा हूं।’’
इस बीच नेशनल कान्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने आईएएस अधिकार का समर्थन किया।

उन्होंने ट्वीट किया , ‘‘ ऐसा लगता है कि डीओपीटी ने शाह फैजल को सिविल सेवाओं से बाहर करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है। इस पेज की आखिरी पंक्ति हैरान करने वाली और अस्वीकार्य है जिसमें उन्होंने फैजल की ईमानदारी पर सवाल उठाया है। एक व्यंग्यात्मक ट्वीट बेईमानी वाला कैसे हो सकता है ? यह उन्हें भ्रष्ट कैसे बनाता है। ?’’

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