2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट के बंटवारे की खबर को किसी ने प्लांटेड कहा तो किसी ने अफवाह करार दिया। मीडिया में आई खबरों को सभी पार्टियों ने एक साथ नकार दिया। इस बीच बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार सीट को लेकर हो रही खींचतान की वजह से अब जेडीयू आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बना रही है। खास बात यह है कि बीजेपी ने पिछले ही सप्ताह सीट बंटवारे को लेकर अपने घटक दलों के बीच आम सहमति बनने की बात कही थी। इसके तहत बीजेपी को बिहार के 40 में से 20 सीटों पर चुनाव लड़ना है जबकि जेडीयू को 12 सीटें, रामविलास पासवान की एलजेपी पार्टी को छह सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी पार्टी को दो सीटों पर चुनाव लड़ना है।
हालांकि जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने सीटों की संख्या के फाइनल होने से साफ तौर पर इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अभी सभी पार्टियों के बीच सीटों को लेकर बातचीत चल रही है। कुछ भी तय नहीं हुआ है. ऐसे में मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर यह आंकड़ा कब और किसने जारी किया। उन्होंने कहा कि अगर इन आंकड़ों में थोडी से भी सच्चाई है तो हमें यह अस्वीकार होगा। गौरतलब है कि बीजेपी द्वारा यूपी और बिहार उपचुनाव में हुई हार और बाद में कर्नाटक में सरकार न बना पाने की स्थिति की वजह से जेडीयू बिहार की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारनेकी तैयारी में है।
ध्यान हो कि जुलाई में हुई नेशनल एग्जिक्यूटिव मीटिंग से पहले केसी त्यागी ने दावा किया था कि सीटों के बंटवारों को लेकर जेडीयू एक बड़े भाई की भूमिका निभाएगी। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने एनडीटीवी से कहा कि बिहार की कुल 40 सीटों में से जेडीयू अपने पास 16 सीट रखने की तैयारी में है जबकि 16 सीटों पर बीजेपी को चुनाव लड़ने का न्योता दिया जा सकता है। इसके अलावा बची आठ सीटों पर एनडीए के अन्य घटल दलों को अपने उम्मीदवार उतारने के लिए कहा जा सकता है।
सीटों के बंटवारे को लेकर जेडीयू के इस गणित की वजह से उपेंद्र कुशवाहा को झटका लग सकता है। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं।