Jharkhand Politics : 'झारखंड पार्टी' ने पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की, पार्टी प्रमुख के पुत्र-पुत्री भी मैदान में उतरे

Jharkhand Politics : 'झारखंड पार्टी' ने पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की, पार्टी प्रमुख के पुत्र-पुत्री भी मैदान में उतरे

Jharkhand Politics : 'झारखंड पार्टी' ने राज्य में 20 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। पार्टी के अध्यक्ष एनोस एक्का ने बुधवार को रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पांच सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की।
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Jharkhand Politics : 'झारखंड पार्टी' ने पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की

कोल्हान प्रमंडल की चाईबासा सीट से कोलंबस हांसदा, मनोहरपुर से महेंद्र जमुदा, सिमडेगा से आयरिन एक्का, कांके से अनिल कुमार पासवान और कोलेबिरा से संदेश एक्का को उम्मीदवार बनाया गया है।दिलचस्प बात यह है कि इन पांच प्रत्याशियों में से दो आयरिन एक्का और संदेश एक्का पार्टी के प्रमुख एनोस एक्का के पुत्र एवं पुत्री हैं। पूर्व में झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके एनोस एक्का ने कहा कि पार्टी झारखंड के हितों की बात करने वाले और समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन की पक्षधर है।

Jharkhand Politics : पार्टी प्रमुख के पुत्र-पुत्री भी मैदान में उतरे

बता दें कि उन्होंने दावा किया कि राज्य में चुनाव के बाद बनने वाली सरकार में झारखंड पार्टी अहम भागीदार होगी। बुधवार को पार्टी की ओर से रांची के कार्निवाल बैंक्वेट हॉल में आयोजित मिलन समारोह में झारखंड के पूर्व मंत्री स्वर्गीय रमेश सिंह मुंडा के बड़े पुत्र और तमाड़ सीट से झामुमो के विधायक विकास मुंडा के भाई राजकुमार मुंडा ने अपने समर्थकों के साथ झारखंड पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

संभावना व्यक्त की जा रही है कि राजकुमार मुंडा तमाड़ सीट पर झारखंड पार्टी के उम्मीदवार होंगे, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से उनके भाई और मौजूदा विधायक विकास मुंडा का भी मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। यानी, इस सीट पर भाई-भाई में मुकाबले की तस्वीर बनती दिख रही है।

वर्ष 2009 में तमाड़ सीट पर हुए उपचुनाव में झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को पराजित कर दिया था। इस पराजय की वजह से शिबू सोरेन को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।झारखंड पार्टी राज्य की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है। इसका गठन वर्ष 1949 में हुआ था। हालांकि, बाद में यह पार्टी कई हिस्सों में टूटी। 1970 के दशक में झारखंड आंदोलन के बड़े नेता एनई होरो ने इस पार्टी को पुनर्जीवित किया था।

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