महाकुंभ 2025 : परंपराओं और महत्व की जानकारी देगा 'मेला एप'

महाकुंभ 2025 के लिए लॉन्च हुआ 'मेला एप', जानें परंपराओं का महत्व
महाकुंभ 2025 : परंपराओं और महत्व की जानकारी देगा 'मेला एप'
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महाकुंभ 2025 : प्रयागराज में 12 वर्षों के बाद महाकुंभ-2025 का महाआयोजन होने जा रहा है। प्रदेश ही नहीं, देश-विदेश सभी जगह लोगों में महाकुंभ को जानने और इसे समझने के लिए जिज्ञासा देखने को मिल रही है।

परंपराओं और महत्व की जानकारी देगा 'मेला एप'

प्रयागराज में 12 वर्षों के बाद महाकुंभ-2025 का महाआयोजन होने जा रहा है। हालांकि, महाकुंभ की जानकारी के लिए लोगों को अब और अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि महाकुंभ 2025 की आधिकारिक एप पर उन्हें समस्त जानकारियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।इस एप पर लोगों को न सिर्फ महाकुंभ के विषय में विभिन्न जानकारियां मिलेंगी, बल्कि महाकुंभ और कुंभ पर लिखी गई किताबों और ब्लॉग्स के माध्यम से वो महाकुंभ की परंपराओं और इसके महत्व के विषय में अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे। मेला प्राधिकरण की ओर से इस एप को लाइव किया जा चुका है और लोग इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड भी कर सकते हैं।

महाकुंभ 2025 : प्रयागराज भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। इसे प्राचीन शास्त्रों में 'प्रयाग' या 'तीर्थराज' के नाम से भी सुशोभित किया गया है। इसे भारत के पवित्रतम तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह शहर वार्षिक माघ मेला, प्रत्येक छह वर्षों में कुंभ मेला और हर 12 वर्ष में महाकुंभ मेला के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रयागराज में होने वाले इन सम्मेलनों को धरती पर मानवता के सबसे बड़े सामूहिक आयोजन के रूप में जाना जाता है।

महाकुंभ 2025 : यूनेस्को ने कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किया है। इस बार महाकुंभ मेला के लिए शहर में तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। तैयारियों के बीच लोग अधिक से अधिक महाकुंभ के विषय में जान सकें, इसको लेकर 'महाकुंभ मेला 2025 एप' को भी लाइव कर दिया गया है।

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