मालदीव के नये राष्ट्रपति के रूप में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने शनिवार को शपथ ली और विपक्ष की एकजुटता की वजह से चीन समर्थक नेता अब्दुल्ला यामीन के शासन का अंत हो गया। 54 साल के सोलिह साझा विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर उभरे क्योंकि सभी प्रमुख असंतुष्ट नेता या तो जेल में हैं या उन्हें यामीन ने जबरन निर्वासत कर दिया था। यामीन ने 2013 में विवादास्पद तरीके से सत्ता हासिल की थी। राजधानी माले में नेशनल फुटबॉल स्टेडियम में संसद का विशेष सत्र आयोजित किया गया।
सोलिह के शपथ-ग्रहण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेता मौजूद थे। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन के संस्कृति मंत्री लुओ शुगांग भी इस दौरान आमंत्रित थे। समारोह में मोदी की मौजूदगी भारत और पश्चिमी देशों में यामीन के अपदस्थ होने से महसूस की गयी राहत को झलका रही थी। मोदी ने फेसबुक पर कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा दोनों देशों के बीच और अधिक करीबी आदान-प्रदान और सहयोग के नये युग का सूत्रपात करेगी।’’ सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने ‘चीन के उपनिवेशवाद’ को समाप्त करने का संकल्प लिया है।
शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मालदीव के निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। सोलिह ने सितंबर में हुए चुनावों में कद्दावर अब्दुल्ला यमीन को शिकस्त दी थी। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम के बगल में बैठे थे। समारोह में श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग भी शामिल हुईं। राष्ट्रीय स्टेडियम में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी ने मालदीव और दुनिया के अन्य देशों के नेताओं से बातचीत की। विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सोलिह (54) 23 सितंबर को हुए चुनावों में सबको चौंकाते हुए विजेता बने थे और उन्होंने तब राष्ट्रपति रहे यमीन को हराया था।
मालदीव की राजधानी पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत किया गया और नई मालदीवी संसद के अध्यक्ष कासिम इब्राहिम ने उनकी अगवानी की। प्रधानमंत्री के तौर पर यह मोदी का पहला मालदीव दौरा है। इससे पहले 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की यात्रा की थी। मोदी ने अपने दौरे से पहले कई ट्वीट करके कहा, ‘‘मैं श्रीमान सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीव की नई सरकार को उसके साथ मजबूती से मिलकर काम करने की भारत सरकार की इच्छा से अवगत कराउंगा जिससे वह खासकर आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य देखभाल, संपर्क और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में विकास की अपनी प्राथमिकताओं को अंजाम दे सकें।’’ उन्होंने कहा कि मालदीव में हुए हालिया चुनाव लोगों की लोकतंत्र, कानून के शासन और समृद्ध भविष्य के लिये साझा अकांक्षा को प्रदर्शित करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी इच्छा स्थायी, लोकतांत्रिक, समृद्ध और शांतिपूर्ण मालदीव गणराज्य देखने की है।’’ भारत और मालदीव के संबंधों में पूर्ववर्ती यमीन के शासन के दौरान तनाव देखने को मिला था क्योंकि उन्हें चीन का करीबी माना जाता है। भारतीयों के लिये कार्यवीजा पर पाबंदी लगाने और चीन के साथ नये मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी भारत खुश नहीं था। यमीन द्वारा इस साल पांच फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा किये जाने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई थी। भारत ने इस फैसले की आलोचना करते हुए उनकी सरकार से लोकतंत्र और सियासी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को फिर से बहाल करने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की थी। मालदीव में 45 दिन तक आपातकाल रहा था।