नई दिल्ली: ‘बहुत ही कठिन है डगर पनघट की’ यह कहावत कांग्रेस पर बिल्कुल ठीक बैठती है। आगामी चार राज्यों में बीजेपी को धूल चटाने और जीत का सपना संजो रही कांग्रेस के महागठबंधन को उस वक्त करारा झटका लगा, जब बसपा प्रमुख मायावती ने सख्त तेवर के साथ ऐलान किया कि उनकी पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कम से कम जीत की उम्मीद लगाई बैठी कांग्रेस के लिए यह कहीं से भी अच्छी खबर नहीं है। कांग्रेस अब तक यह मानकर चल रही थी कि मायावती के साथ इन तीन राज्यों में जीत का स्वाद चख लेगी, मगर अब मायावती के इस ऐलान के बाद कांग्रेस के लिए राह कठिन हो गयी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले इन राज्यों को जीतना सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, बसपा के साथ आने पर कुछ फायदा की तस्वीर स्पष्ट होने लगी थी, मगर मायावती ने कांग्रेस के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है।
बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मायावती ने न सिर्फ यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ेगी, बल्कि कांग्रेस पार्टी को खूब कोसा भी। मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी बसपा के अस्तित्व को खत्म करना चाहती है। साथ ही यह कहा कि कांग्रेस खुद अपनी सहयोगी या फिर फ्रेंडली पार्टियों को नुकसान पहुंचाना चाहती है।
उन्होंने यह भी कहा कि दरअसल, कांग्रेस कभी चाहती ही नहीं कि बीजेपी हारे। हालांकि, मायावती के इस ऐलान के बाद भले ही कांग्रेस पार्टी सकते में हो, मगर बीजेपी को जैसे संजीवनी मिल गई है। बीजेपी के लिए इससे अच्छी खबर हो ही नहीं सकती की जो एका उनके खिलाफ इन राज्यों में बनने वाला था, अब वह कभी मूर्त रूप ले ही नहीं पाएगा। मायावती के इस ऐलान के बाद एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी की सारी उम्मीदें खत्म होती नजर आ रही हैं, वहीं बीजेपी के लिए उम्मीद की एक किरण जगी है। क्योंकि मध्य प्रदेश और राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है। वहीं एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्ण भी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं।
इससे पहले मायावती छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी से अलग हुए अजीत जोगी के साथ गठबंधन का फैसला कर चुकी हैं। इस साल के अंत में चार राज्यों मसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं। इनमें से तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। वहीं मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 15 साल से सत्ता में काबिज हैं. इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ में बीजेपी 15 सालों से है। वहीं, राजस्थान में बीते कई सालों में कई आंदलनों की वजह से वसुंधरा राजे की सरकार भी नाराजगी का सामना कर रही है और इन तीनों राज्यों में फिलवक्त बीजेपी एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है।
अगर मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर गौर करें तो बुधवार को वह काफी गुस्से में नजर आ रही थीं। उनके बयान में बीजेपी को लेकर उतनी ज्यादा तल्खी नहीं दिखी, जितना उन्होंने कांग्रेस को भला-बुरा कहा. मायावती ने तो कांग्रेस को जातिवादी और सांप्रदायिक पार्टी तक कह डाला. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती कि बसपा का अस्तित्व रहे, बल्कि वह क्षेत्रीय पार्टियों को भी नुकसान पहुंचाना चाहती है। मायावती ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि वह बीजेपी को कभी हराना ही नहीं चाहती।
बहरहाल, बहुजन समाज पार्टी का कांग्रेस से अलग होकर तीन राज्यों में चुनाव लड़ने का फैसला फिलहाल लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर विपक्षी एकता की कवायद के लिए झटका ही माना जा रहा है। हालांकि, अभी तक लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर मायावती ने कुछ भी नहीं बोला है। उन्होंने अपना सस्पेंस कायम रखा है। मगर विधानसभा चुनाव से पहले मायावती का एकला चलो का ऐलान कांग्रेस ही नहीं, बल्कि विपक्षी एकता के लिए ऊी नुकसानदायक ही साबित होगा। हो सकता है कि बसपा के अलग होने से कांग्रेस को इन राज्यों में नुकसान उठाना पड़े।