पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही उठापटक और विवाद अब खत्म होता दिख रहा है। सूत्रों की माने तो मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के.एम. जोसेफ का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की उन सिफारिशों को मान लिया है, जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के.एम. जोसेफ को सबसे बड़ी अदालत में जिम्मेदारी दी जाने की बात कही थी।
जस्टिस के. एम. जोसेफ के साथ ही मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत शरण को भी प्रमोट किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो अगले हफ्ते ही राष्ट्रपति सचिवालय से नियुक्ति का आदेश जारी हो सकता है।
बता दें कि इस मुद्दे पर काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था। मोदी सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश की फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था।
आपको बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर ज़ोर दिया था। इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की थी।
जिस दौरान कोलेजियम ने जस्टिस के. एम. जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी, तब सरकार ने कई तरह के तर्क देकर उनका नाम वापस कर दिया था। लेकिन अब लगता है कि सरकार राजी हो गई ।
पहले इन तर्कों का हवाला देकर केंद्र ने कोलेजियम की सिफारिश की फाइल लौटा दी थी :-
- वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ का नंबर 42वां है. अभी भी हाईकोर्ट के करीब 11 जज उनसे सीनियर हैं।
- कलकत्ता, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और कई हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के प्रतिनिधि अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है।
- जस्टिस के. एम. जोसेफ केरल से आते हैं, अभी केरल के दो हाईकोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में हैं।
- पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में SC/ST का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
- कोलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट का ही एक सिस्टम है।
- अगर केरल के ही एक और हाईकोर्ट जज की नियुक्ति की जाती है तो यह सही नहीं होगा।