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गोपनीय चंदा जुटाने की Modi, जेटली और BJP की कोशिश को अदालत ने किया नाकाम : येचुरी

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि चुनावी बांड के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली दान

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि चुनावी बांड के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली दान राशि की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाने की भाजपा की कोशिश नाकाम कर दी है।

येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने गोपनीय चुनावी बॉंड का कानून बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा की पहल को ध्वस्त कर दिया है। अदालत ने कहा है कि पारदर्शिता चुनावी चंदे का मूल आधार है। जनता को यह जानने का अधिकार है कि किस दल को कहां से कितना पैसा दान में मिला है।’’

उन्होंने कहा कि चुनावी बॉंड में दानदाता की पहचान उजागर नहीं करने का प्रावधान लागू करने की भाजपा की कोशिश नाकाम होने की राह पर है।

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माकपा पोलित ब्यूरो ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुये कहा कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में पर्याप्त चर्चा कराने से बच रही थी। पार्टी पोलित ब्यूरो ने कहा कि चुनावी बांड पर संसद में बिना व्यापक सहमति के इसके कानून को धन विधेयक के रुप में पारित कराने के पीछे मोदी सरकार का मकसद कार्पोरेट जगत से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे की सीमा को हटाना था।

पार्टी ने कहा कि खासकर चुनाव के समय चुनावी चंदे को गोपनीय बनाने से राजनीतिक दलों की पारदर्शिता को पैदा हुये खतरे से निपटने में उच्चतम न्यायालय का फैसला मददगार साबित होगा।

येचुरी ने उच्चतम न्यायालय के प्रभाव के बारे में कहा, ‘‘कालेधन के रास्ते दान देने वाले अब इस राह को अपनाने से डरेंगे। आज चुनाव आयोग को दान का ब्योरा मिलेगा कल यह ब्योरा जनता की पहुंच में होगा।’’

सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को पत्र लिख कर राजनीतिक लाभ के लिये सेना के पराक्रम का इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताने के मामले में येचुरी ने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमारे सैन्य बल अपने निर्धारित दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। जब सत्तारूढ़ दल उनके नाम का दुरुपयोग करेगा तो इससे सेना और लोकतंत्र का स्तर गिरेगा।’’

येचुरी ने कहा कि इस मामले में सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई ही इसका एकमात्र समाधान है। उल्लेखनीय है कि सेना के लगभग 150 पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रपति को एक कथित पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव में सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ के लिये इस्तेमाल किये जाने की शिकायत की है।

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