15 अगस्त के दिन खास योग बन रहा है। साल 2018 की नागपंचमी 15 अगस्त को है हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है जिसमें नाग देवता की पूजा करने से घर में खुशहाली आएगी।
आपको बता दे कि इस बार नाग पंचमी हस्त नक्षत्र और साध्य योग में पड़ रही है यह अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से सांयकाल 04 बज कर 13 मिनट तक है। इस दिन जो लोग नाग पूजा और काल सर्प योग की साधना आदि करते हैं वे अपनी पूजा प्रात 11 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट के मध्य कर लें। ये सर्प पूजा का सबसे शुभ काल है।
माना जाता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से सांपों का भय दूर होता है और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। नागपंचमी के लिए मंदिरों में विशेष तैयारियां की गई हैं।
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हिन्दू धर्म की कथाओं में बताया गया है नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने से लक्ष्मी घर आती हैं। दूध पिलाने से नाग देवता खुश होते हैं और उनकी कृपासे घर से लक्ष्मी कभी बाहर नहीं जातीं। नाग देवता की पूजा करने से लोगों को सर्पदंश का भय भी नहीं रहता।
हालांकि जंतु वैज्ञानिकों का मानना है कि सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उसकी शारीरिक बनावट ऐसी नहीं होती कि वह दूध को पचा पाए।
वही , सांपों की पूजा का दूसरा कारण और महत्वपूर्ण तर्क यह भी है कि भारत कृषि प्रधान देश है और सांपो चूहों आदि से खेतों की रक्षा करता है। सांप को क्षेत्रपाल नाम से भी जानते हें। शायद सांपों के इसी महत्व को देखते हुए लोगों इनकी पूजा करना शुरू किया हो। हमारे देश में जैसे कि नदियों और पेड़ों की पूजा करने की परंपरा है वैसे ही सापों को भी पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि नाग को दूध पिलाने से घर में समृद्धि आती है। ऐसी भी मान्यता है कि इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। उल्लेखनीय है कि नाग पंचमी को गरुड़ पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। और इस दिन नाग देवता के साथ गरुड़ की भी पूजा की जाती है। इसके साथ ही नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक करने को बहुत ही फलदायी बताया गया है।
नौ प्रकार के नागों की होती है पूजा।
कर्काटक, नील, कालिया, कुलिक, शंखपाल, महापद्म, अन्नत, वासूकी, तक्षक।