बिहार में बोधगया स्थित बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र धार्मिक स्थल महाबोधि मंदिर परिसर में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में दोषी करार दिए गए पांच लोगों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने 25 मई को इस मामले के पांच आरोपियों हैदर अली, इम्तियाज अंसारी, मुजिबुल्लाह अंसारी, उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को भारतीय दंड विधान और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निरोधक) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में दोषी करार देने के बाद पिछले दो दिनों से सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आज यह सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश ने हैदर अली को कुल 60 हजार रुपये का, इम्तियाज और मुजिबुल्लाह को 50-50 हजार रुपये का तथा उमर एवं अजहरुद्दीन को 40-40 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर हैदर अली को तीन वर्ष, इम्तियाज और मुजिबुल्लाह को ढ़ाई -ढ़ाई वर्ष तथा उमर एवं अजहरुद्दीन को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी।
बता दें कि विशेष लोक अभियोजक के अनुसार हैदर अली ने इस घटना को अंजाम देने का षड्यंत्र रचा था जिसमें उमेर और अजहर शामिल था। हैदर अली प्रतिबंधित सिमी का सक्रिय सदस्य था। वह रांची में रहकर संगठन का कार्य देखता था। हैदर अली और उमेर ने ही बोधगया बम ब्लास्ट का ताना-बाना बुना। उसके अलावा अन्य चार अभियुक्त भी इस षड्यंत्र में शामिल हो गए।
गौरतलब है कि 7 जुलाई, 2013 की सुबह-सुबह बोधगया का महाबोधि मंदिर परिसर एक के बाद एक 10 बम धमाकों से दहल उठा था। पांच धमाके महाबोधि मंदिर परिसर के भीतर हुए थे, तीन तेरगर मठ में हुए थे जहां करीब 200 प्रशिक्षु भिक्षु रहते थे और एक-एक धमाका 80 फुट की बुद्ध प्रतिमा के पास और बाइपास के करीब बस स्टैंड पर हुए थे। विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों ने तीन बिना फटे और निष्क्रिय किए हुए बम भी बरामद किए थे।
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